गुरुवार, मई 21, 2020

शब्द


शब्दों का  क्या है ! 
जितने मर्ज़ी खर्च कर लो
मगर शब्द
कहने में हलके
और सुनने में
भारी होते हैं
कहने वाला
बस कह देता हैं
सुनने वाले के
मन में डूब जाते हैं
फिर घुलते रहते हैं
अंदर ही अंदर
मन की तली में
गलते रहते हैं 
दिन हफ़्तों
महीने सालों
और साल सदियों से
प्रतीत होते हैं

मन की तली में
वो गले-घूले शब्द
रह रह के 
मन की सतह पर
सांस भरने आ जाते हैं
और फिर, और डूब जाते हैं
और फिर,      और घुलते हैं
    और फिर,      और गलते हैं

:-ज़ोया****



P.C @Google  images 
  

29 टिप्‍पणियां:

Meena Bhardwaj ने कहा…

सुप्रभात जोया जी
बहुत गंभीर और गहन चिन्तन में डूब कर लिखा शब्द सृजन ...सही लिखा आपने..अक्षय निधि हैं शब्द । इनका अस्तित्व अमर है । इनका प्रयोग सोच समझ कर ही होना चाहिए । दिल को छूती भावप्रवण रचना ।


yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०५-२०२०) को 'बादल से विनती' (चर्चा अंक-३७१०) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

Sudha Devrani ने कहा…

कहने में हलके
और सुनने में
भारी होते हैं
सही कहा शब्द सचमुच सुनने मे भारी होते हैं...
बहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक एवं विचारोत्तेजक सृजन
वाह!!!

anita _sudhir ने कहा…

बिल्कुल सत्य

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

अनीता सैनी जी
रचना को इस काबिल समझने के लिए धन्यवाद
युहीं उत्साह बढ़ाते रहे। ...
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद


कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Sudha devrani जी

आपसे इतने प्यारे और उत्साह बढ़ाने वाले शब्द पाकर प्रसन्नता हुयी
युहीं उत्साह बढ़ाते रहे। ...
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद

कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

anita _sudhir जी

रचना आपको सार्थक लगी। .धन्यवाद
युहीं उत्साह बढ़ाते रहे। ...
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद


कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

yashoda Agrawal ji
रचना को इस काबिल समझने के लिए धन्यवाद
युहीं उत्साह बढ़ाते रहे। ...
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद


कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Meena Bhardwaj ने कहा…

अक्षय निधि हैं शब्द । इनका अस्तित्व अमर है
आपका कमेंट अपने आप में इक रचना है मीना जी
आप के शब्द हमेशा उत्साह बढ़ाते हैं..ऊर्जा प्रदान करते हैं

बहुत बहुत आभार आपका
युहीं साथ दें

Nitish Tiwary ने कहा…

शहद तोल मोलकर ही अपनी जिह्वा पर लाने चाहिए। सुंदर प्रस्तुति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…


कम शब्दों में गहरी बात।
बहुत सुन्दर।

Anuradha chauhan ने कहा…

सार्थक अभिव्यक्ति

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आदरणीया वीनस "जोया" जी शब्दों को माध्यम बनाकर बहुत बड़े सच को आपने उद्घाटित किया है।--ब्रजेंद्रनाथ

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

सुंदर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

कई बार यही शब्द गल के सड़ने भी लगते हैं और निकल आते हैं किसी दुसरे को डुबोने के लिए ...
बहुत खूब लिखा है ...

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Nitish Tiwary जी

बिलकुल सही कहा आपने। ..पर आजकल ये कला लुपत हो गयी है। .तोल मोल कर शब्द बोलने की

रचना को अपना स्नेह देने के लिए धन्यवाद
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद

कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी

आपने रचना को स्नेह देकर सार्थक कर दिया। ..बहुत धनयवाद आपका
ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद


कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Anuradha chauhanजी
..बहुत धनयवाद आपका


ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

-ब्रजेंद्रनाथ जी
सादर प्रणाम
आपने रचना को अपना समय दिया और उसका मर्म समझा ..बहुत धनयवाद आपका


ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

सु-मन (Suman Kapoorजी
सादर प्रणाम
बहुत धनयवाद आपका


ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

दिगंबर नासवा जी
सादर नमस्ते
रचना का मर्म समझने और सरहाने के लिए धन्यवाद


ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

dr.sunil k. "Zafar " ने कहा…

मन की तली में
वो गले-घूले शब्द
रह रह के
मन की सतह पर
सांस भरने आ जाते हैं
और फिर, और डूब जाते हैं

बहुत गहरी बात कही गयी हैं आसान शब्दो में।ये शब्दो ही तो जो हर शह में जाहिर हैं या लब्जो से ही सब जाहिर हैं।

Jyoti khare ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह बेहतरीन..... जीवन के करीब से गुजरते एक एक शब्द

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@dr.Jafar

सादर नमस्ते

आपने रचना की गहराई को समझा बहुत बहुत आभार आपका



ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@Jyoti Khare


सादर प्रणाम
बहुत धनयवाद आपका


ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@संजय भास्‍कर
रचना को अपना समय दिया और उसका मर्म समझा ..बहुत धनयवाद आपका



ब्लॉग तक आने के लिए ह्रदय से आदरसहित धन्यवाद
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।

विश्वमोहन ने कहा…

मन की तली में
वो गले-घूले शब्द
रह रह के
मन की सतह पर
सांस भरने आ जाते हैं....वाह! बहुत सुंदर।