शुक्रवार, जनवरी 14, 2011

"बिरला पुट्टी"



भगवान के यहाँ भी कारीगर शायद
हमारी  दुनिया के कारीगरों जैसे ही हैं
वही क्लर्क ,ठेकेदार और ये मजदूर सारे
कामचोर ,घूसखोर, पैसों के मारे

तभी तो जिस्मो के मकानों में इतनी धाँधली है
रिश्तों नातों की तो बात ही न पूछो
सब में कच्ची सीमेंट कच्ची बजरी भरी है

अब जिस्म के सेकंड फ्लोर पे इस दिल को ही ले लो

'ना जाने साहब'  ,कैसा मसाला लगाया है

थोडी सी हवा के साथ सीमेंट झड़ता जाता है

रंग - रोगन भी अध कचरा सा ही है

इक बरसात पड़ी नही के रंग बदरंग हो गया
दीवारों का हाल तो देखो...जर्र-जर्र खस्ता 
 जगह-२ से पपड़ी झड़ती जाती है

काश! भगवान् के वहां कारीगरों ने
हमारी दुनिया की करप्शन के साथ-साथ
हमारी दुनिया की कॉमर्शियल ब्रेक्स भी देखी होती
"बिरला पुट्टी"
“”  करे दीवारों की अंदरूनी रक्षा “”.
.
.
हर बरसात के बाद यहाँ दीवारें  उच्चड़ी- उच्चड़ी जाती जाती हैं
.

16 टिप्‍पणियां:

  1. गजब की परिकल्पना और भाव
    शायद वहाँ भी हमारे यहाँ के कारीगर ही है

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  2. बहुत खूब जोया .... ये धांधली हर जगह है शायद ... बहुत अच्छी रचना ...

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  3. मन में पल रहे विचारों को बहुत खूबसूरती से बाँधा है आपने!

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  4. तभी तो जिस्मो के मकानों में इतनी धाँधली है
    रिश्तों नातों की तो बात ही न पूछो
    सब में कच्ची सीमेंट कच्ची बजरी भरी है


    क्या बात है !!!लाज़वाब कल्पना! वहाँ भी हमारे नेता और नौकरशाह भ्रष्टाचार और काम करने के तरीके सिखा आये होंगे. बहुत सटीक व्यंग..

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  5. नई सोच के साथ नई कविता.
    भगवान के यहाँ करप्शन ............हा हा हा.
    पढ़कर मज़ा आ गया,जोया जी.


    लोहड़ी तथा मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई

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  6. गजब के कारीगर है
    आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  7. जोया जी,

    क्या बात है.....सुभानाल्लाह.....बहुत ख़ूबसूरत|

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  8. भगवान् के यहाँ करप्शन न होता तो हमारी बिरादरी को कौन पूछता ? सेकेंड फ्लोर गड़बड़ होगा तभी तो अपोलो और एस्कार्ट जैसे चांदी काट पायेंगे जोया जी इ इ इ ! एक अच्छे व्यंग के लिए बहुत-बहुत आशीर्वाद .....!!

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  9. भगवान् के यहाँ करप्शन न होता तो हमारी बिरादरी को कौन पूछता ? सेकेंड फ्लोर गड़बड़ होगा तभी तो अपोलो और एस्कार्ट जैसे चांदी काट पायेंगे जोया जी इ इ इ ! एक अच्छे व्यंग के लिए बहुत-बहुत आशीर्वाद .....!!

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  10. अद्भुत कल्पना के साथ बिल्कुल अलग-सी कविता।
    बहुत अच्छी रचना।

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  11. मौलिक प्रतीकों से सजी सुन्दर रचना ,
    अद्भुत रहा अनुभव ! बधाई !

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  12. oh my my.....! btoo good yaara....god ji ke manufactuling dept ki aisi taisi kar di....pol khol di aapne to....awesome !!!

    :)

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  13. अच्छा हुआ.... जो मैं यहाँ आया....
    तुम तो अजब अजब से रंग दिखला रही हो आजकल....
    हकीकत और व्यंग का बेहतरीन स्वरुप....... बहुत खूब

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