26 जनवरी आ गयी ....नॅशनल होलीडे है ...बच्चे ..कुछ अधिकारी ..स्कूल के अध्यपक ..लेक्चरर्स ...और कुछ और वर्ग के कार्यकर्ता ....खुश ही होते हैं..चलो..इक छुट्टी तो आई ...पर हाँ कुछ जन हैं जो दुखी होते हैं..."क्या यार ..मेरी तो ड्यूटी लगा दी है ..२६ जनवरी की तैयारियौं में " यू आर सो लकी ..बच गये " ये उन बेचारों की दिल की आवाज़ है जिन की ड्यूटी २६ जनवरी के समारोह में लग जाती है .बस इसी वर्ग में मैं भी आ गयी हूं ! कॉलेज में कुछ कर्यक्रम करवाना है इसी उपलक्ष्य में !सुबह सुबह इसी उधेड़ बुन में उठी और मोर्निंग वाक पे निकल पड़ी !वैसे मोर्निंग वाक में भी हर तरह के प्राणी नज़र आते हैं!कुछ भारी भरकम औरतें
अपनी जवानी में चढ़ाए मांस और चर्बी को उतारने के लालच में.....,कुछ शर्हरी काया लिए लड़कियां जो साएकिक हैं की वो वैसे ही रहे अपने मरने तक..... ,कुछ जवान लड़के जाने वो अपने डोले बढाने आते हैं या उन जवान लड़कियों पे अपनी किस्मत आजमाने..... ,कुछ बुजुर्ग -बूढ़े भी जिनकी उम्र के साथ साथ नींद भी जाती रही शायद या वो जिन्हें डॉक्टर्स ने भूत बन के डरा दिया है ! और कुछ ऐसे भी हैं जो अपने स्वास्थ्य को लेकर सच में सजग हैं और खुद को स्वस्थ रखना कहते हैं !
पर मेरे आकर्षण का केंद्र हमेशा बूढ़े बुजुर्गों का वो झुण्ड ही होता है जो रोज़ सुबह सुबह घर से निकलते हैं और घर आते तक आधी दुनिया उधेड़ डालते हैं ! मैंने उन्हें बुजुर्ग ग्रुप का नाम दे दिया है !((कृपया इसे गलत तरीके सा ना लें ..मैं बड़े बुजुर्गों का तह ए दिल से सम्मान करती हूं ))
वैसे मैंने बताया नही मैं उस वर्ग से हूं जिसे डॉक्टर ने भूत बन के डरा दिया है !
चलिए मैं आपको उस बुजुर्ग ग्रुप की बात बता रही थी ! उनकी बात सुन के मैं उन्ही के आस पास चक्कर लगाने लगी !
कुछ देर तक तो वो फलाना धिम्काना बोलते रहे ,हमारी सरकार निक्कमी ..कलर्क कुत्ते हैं...,सारे अधिकारी घूसकोर ,कोई अपना काम नही करता ...बला बला बला (इंग्लिश वाला )और फिर इक जगह जम के बैठ गये !
कुछ देर तक तो वो फलाना धिम्काना बोलते रहे ,हमारी सरकार निक्कमी ..कलर्क कुत्ते हैं...,सारे अधिकारी घूसकोर ,कोई अपना काम नही करता ...बला बला बला (इंग्लिश वाला )और फिर इक जगह जम के बैठ गये !
उनमे से एक सज्जन बोले " छड यार ..कुछ नि होना ! ए सब ऐंवें ही चली जाना ! ऐथे नि कुछ वि बदलन वाला ... मैं कल गया सी बिल जमा करवान ...साले सवा इक ही लंच करन चले गये ते पाने तिन तक किसे दा अता पता नि ...मैं वि पिछों जा के कम करवा लया ..अंसी केड़ा किसे तो कट ने ....हा हा हा
((छोडो यार ...ये सब ऐसे ही चलता रहेगा ,यहाँ पे कुछ नही बदलने वाला ..मैं कल बिल जमा करवाने गया था .....बीप {{मैं गाली हिंदी में नही लिखने वाली..वो पंजाबी में बोल रहे थे.}} ..सवा एक लंच पे गये और पाने तीन तक किसी का कोई अता पता नही ...मैंने भी पीछे से जा के {मतलब ले दे के अपना काम करवा लिया ..हम कोंन सा किसी से कम हैं ...हा हा )))!
वैसे वो हंसे क्यूँ मुझे समझ नही आया !फिर उनमे से इक ने ज़र्दे-सुपारी के २-३ पैकेट्स निकाले ,फाड़े ..सब ने बड़े भाई-चारे से आपस में बाँट के वो खाया ... और उसी प्यार से वो खाली पैकेट्स उस खूबसूरत से पार्क की खूबसूरत से हवा में उड़ा दिए !वैसे तब तक मेरा खून शायद ४०० डिग्री का उबाल शायद खा चुका था !दिल किया के वो खाली पकेट्स उठा के उन के मुहं में घुसेड दूँ ताकि सुपारी के साथ वो भी चबा डालें ! मैं अक्सर खड़े-खड़े ऐसे छोटे-छोटे स्वप्न देख लेती हूं !जब तक मैं अपने इस स्वान से बाहर आई वो बुजुर्ग ग्रुप पार्क के बाहर निकल रहा था ! मैंने वो पकेट्स उठाये तो पर उनके मुहं में घुसेड़ने की बजाए ऍम.सी द्वारा लगाये डस्टबीन्स में डाल दिए !वैसे मुझे अक्सर इस हरकत के लिए अपने पति से डांट खानी पड़ती है ,वो भी सही हैं कितना कूड़ा उठा पाउंगी मैं ..और हो सकता है मुझे ही कुछ इन्फेक्शन लग जाये ! मैंने घड़ी देखी ..उफ्फ्फ इन बुजुर्गों ने तो मुझे लेट करवा दिया ! बस इक राउण्ड और फिर चलती हूं ! जैसे ही चली ,देखा उनमे से इक बुजुर्ग जाते-जाते अपने घर के शोच्चाल्या का खर्चा बचा रहा था ..या पार्क की सीमेंटेड फेंस पे अपनी याद छोड़े जा रहा है जैसे अक्सर कुछ कुत्ता प्रजाति के प्राणी करते जाते हैं !
मैं उन्ही की बात याद कर रही थी " हमारे इंडिया का कुछ नही हो सकता "!
सच में कुछ नही हो सकता
क्यूंकि इसमें रहने वाली भारतवासियों का कुछ नही हो सकता ..मतलब हमारा कुछ नही हो सकता !हम सिर्फ चीखते हैं ,बोलते हैं .गलतियाँ निकालते हैं..,इक दूजे की टांग खींचते हैं ,कमी-पेशियाँ ढुंढते हैं बस ! हम क्या करते हैं! हमारी सरकार माना उतना नहीं करती जितना कर सकती है ..पर वो अपने हिस्से का कुछ हिस्सा तो करती है ! पर हम ..हम तो अपने हिस्से का कुछ प्रतिशत भी नही करते !ट्रेफिक लाईट्स हों ,रूल्स फोलो करने हों ,मोरल ड्यूटीस हों ,बडो का आदर सम्मान ,लड़कियों-महिलाओं की इज्ज़त ,अपना काम ,अपनी जिम्मेदारियां ...कुछ भी नही ! जो खाया पिया उसका बचा खुचा सब सड़कों के हवाले ! महज़ २५ रूपये बचाने के लिए घर का दिन भर का कूड़ा पार्क्स में .नुक्कड़ों में ! कुछ लम्हों के रोमांच के लिए बेशकीमती वन्य जंतुओं का शिकार कर लेना ,पेड़ काट डालना , २ रूपये बचाने के लिए सुलभ शोचालयों की जगह पेड़ों ,दीवारों ,इमारतों को भिगोना ! और भी जाने क्या क्या !जवान लड़कों का तो क्या कहना ,उम्र दराज़ अंकलों का लड़कियों और महिलाओं का अशलील व्यंग कसना ,छेड़ना ,गलत हरकते करना ! अगर ऐसे सब बातों का विवरण देने लंगू तो शायद सारा दिन बीत जाए !
क्यूंकि इसमें रहने वाली भारतवासियों का कुछ नही हो सकता ..मतलब हमारा कुछ नही हो सकता !हम सिर्फ चीखते हैं ,बोलते हैं .गलतियाँ निकालते हैं..,इक दूजे की टांग खींचते हैं ,कमी-पेशियाँ ढुंढते हैं बस ! हम क्या करते हैं! हमारी सरकार माना उतना नहीं करती जितना कर सकती है ..पर वो अपने हिस्से का कुछ हिस्सा तो करती है ! पर हम ..हम तो अपने हिस्से का कुछ प्रतिशत भी नही करते !ट्रेफिक लाईट्स हों ,रूल्स फोलो करने हों ,मोरल ड्यूटीस हों ,बडो का आदर सम्मान ,लड़कियों-महिलाओं की इज्ज़त ,अपना काम ,अपनी जिम्मेदारियां ...कुछ भी नही ! जो खाया पिया उसका बचा खुचा सब सड़कों के हवाले ! महज़ २५ रूपये बचाने के लिए घर का दिन भर का कूड़ा पार्क्स में .नुक्कड़ों में ! कुछ लम्हों के रोमांच के लिए बेशकीमती वन्य जंतुओं का शिकार कर लेना ,पेड़ काट डालना , २ रूपये बचाने के लिए सुलभ शोचालयों की जगह पेड़ों ,दीवारों ,इमारतों को भिगोना ! और भी जाने क्या क्या !जवान लड़कों का तो क्या कहना ,उम्र दराज़ अंकलों का लड़कियों और महिलाओं का अशलील व्यंग कसना ,छेड़ना ,गलत हरकते करना ! अगर ऐसे सब बातों का विवरण देने लंगू तो शायद सारा दिन बीत जाए !
तो क्या हम सब एक जिम्मेदार नागरिक होने की जिम्मेदारियां निभातें हैं !
और अगर नही तो क्या ...हमे ये कहें का हक है "हमारे इंडिया का कुछ नही हो सकता "!
और अगर नही तो क्या ...हमे ये कहें का हक है "हमारे इंडिया का कुछ नही हो सकता "!
6 टिप्पणियां:
सचमुच, शर्मनाक है यह सब। लेकिन अगर आज के युवा जागरूक हो जाएं, तो बदलाव इतना मुश्किल भी नहीं।
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क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
बिल्कुल सही लिखा है ...जनता खुद भी इन बातों की ज़िम्मेदार है ...
बहुत सार्थक पोस्ट ...हम सब भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई !
aisi rchna tak aane...dhairypurwak prne..aur fir use smjhne ke liye....bahut bahut shukriya
जब तक कमियां हम में नहीं होती हैं.. कोई बाल का बांका नहीं कर सकता...
तो पहले हमको सुधर जाना चहिये..... एक रोचक और संदेश युक्त आलेख...
सच कहा .. हममें ही कमियां हैं हमेशा बस दूसरों पर ही दोषारोपण करते रहते हैं
बहुत सार्थक संवाद करती सुन्दर पोस्ट
बधाई
आभार
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