शनिवार, फ़रवरी 05, 2011

नया सबक



आँखों के इन दो पहियों से
अब तक का सफ़र दोहरा लेती हूँ
क्या खोया और क्या पाया मैंने
कच्चा सा हिसाब लगा लेती हूँ !

ज़ेहन की गीली तख्ती पे
कुछ गीला गीला सा लिखा था
जो कुछ भी लिखा था उसपे
काज़ली खारे पानी से फैला-२ था !

छूऊँ तो हाथ ना आये
पढ़ने  बैठूं तो पढ़ा ना जाए
धुंधला धुंधला मटमैला सा
बस पलकों में छुपा बैठा था !

अब के धो लिया है मैंने
लिखा पिछला सबक वो सारा
रिश्तों की मीठी मीठी धुप में
अब धुली  तख्ती सुखा लेती हूँ !

नई गाचनी नसीब की
तख्ती पे मल ली है मैंने
लाल सुनहरी सियाही से
अब नया सबक लिख लेती हूं !

उजली सजी-सवरी सी तख्ती
महकती है मेहँदी की खुशबू से
गुलानारी रिश्तों की कलम से
नित-रोज़ जीवन आगे लिख लेती हूँ. !
.
.

21 टिप्‍पणियां:

  1. जेहन की गीली तख्ती पे
    कुछ गीला गीला सा लिखा था
    जो कुछ भी लिखा था उसपे
    काजली खारे पानी से फैला-२ था !
    waah

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  2. आँखों के इन दो पहियों से,जेहन की गीली तख्ती,नई गाचनी,लाल सुनहरी सियाही,गुलानारी रिश्तों की कलम -----------बहुत सुन्दर बिम्ब प्रयोग के माध्यम से रचना को संवारा है……………भाव भी बहुत सुन्दर संजोये हैं……………बेहद उम्दा रचना।

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  3. उजली सजी-सवरी सी तख्ती
    महकती है मेहँदी की खुशबू से
    गुलानारी रिश्तों की कलम से
    नित-रोज़ जीवन आगे लिख लेती हूँ. !
    .

    गहन भावों से पूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  4. कविता की भाषा सीधे-सीधे जीवन से उठाए गए शब्दों और व्यंजक मुहावरे से निर्मित हैं।

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  5. आगे बढ़ने के लिए नया सबक ज़रूरी है न ! अच्छा किया ज़ो रिश्तों की धूप में नये सबक को सुखा कर प्रिजर्व कर लिया ....

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  6. अच्‍छी और भावभरी रचना। इस रचना की तारीफ में ज्‍यादा नहीं बस इतना ही,
    ''यूं तसव्‍वुर पे बरसती हैं पुरानी यादें,
    जैसे बरसात में रिमझिम का समां होता है।''

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  7. उजली सजी-सवरी सी तख्ती
    महकती है मेहँदी की खुशबू से
    गुलानारी रिश्तों की कलम से
    नित-रोज़ जीवन आगे लिख लेती हूँ. !
    --
    बहुत ही सशक्त रचना पेश की है आपने!

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  8. नई चमकती हुई तख्ती,नया सबक और नई प्यारी-सी कविता भी.
    wonderful.

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  9. नया सबक मुबारक हो.
    बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति.
    चर्चा मंच से आप तक पहुंचा हूँ.
    आप की कलम को सलाम

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  10. भाव प्रवण प्रस्तुति प्रस्तुत करने हेतु बधाई| लिखावट में कहीं कहीं टाइपिंग मिस्टेक हो गयी लगती हैं| सुधारने की कृपा करें|

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  11. बहुत ही शानदार और मर्मस्पर्शी लिखा है आपने.

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  12. आप सबके स्नेह और हौंसला अफजाई के लिए तह ए दिल से शुर्किया
    Take care

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  13. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (7/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  14. दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  15. ज़िंदगी के सबक ज़िंदगी की तरह ही अज़ीब हैं ! बहुत अच्छी रचना ! धन्यवाद

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  16. जोया जी,

    सुभानाल्लाह.......अल्फाजों को इतनी खूबसूरती से इस्तेमाल किया है आपने......वाह.....वाह.....बहुत खूब|

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  17. उत्तम प्रस्तुति. बधाईयों सहित...

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