अक्सर सड़क के किनारे लगे लाईटलैम्प के नीचे
फटे से इक टाट के ऊपर .........दिन से रात तक
तन से चिपके मैले-कुचेले ....,फटे.., तार-तार कपड़े
तन से चिपके मैले-कुचेले ....,फटे.., तार-तार कपड़े
बिना कुछ मांगे बिना किसी के आगे गिड़गड़ाए
'वो' ........बस पूरा वक़्त बैठा मुस्कुराता रहता !
कभी उसे किसी से बतियाते नही देखा किसी ने
जाने कहाँ से आया है ? कौन है ? नाम क्या है ?
जाने किस बात पे बैठा मुस्कुराता रहता है
यहाँ ए.सी रूम,नर्म बिस्तर,खान पान,ऐशो-आराम
.............फिर भी इक सच्ची मुस्कान की किल्लत
जाने क्या वजह होगी उसकी मुस्कान की
जाने क्या वजह होगी उसकी मुस्कान की
जाने किस बात पे बैठा मुस्कुराता रहता है
कोई दूसरी ही वजह होगी .....उसकी मुस्कान की!
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12 टिप्पणियां:
लाजवाब.
फिर भी इक सच्ची मुस्कान की किल्लत
सब कुछ होते हुए पता नहीं हम क्यों मुस्कराना भूलते जा रहे हैं.
सलाम.
यही तो सबसे बड़ी वजह है उस मुस्कान की कोई वजह ही नहीं है। लोग उसे पागल कहते है। पर शायद वो हमारे पागलपन पर मुस्कुरा रहा होता है। अति सुंदर।
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना..सुख सुविधाओं के बीच मुस्कान जाने कहाँ खो जाती है..
बहुत बढ़िया चित्र कविता है। अंतिम दो लाइनें अनावश्यक लगीं मुझे। शायद यह कहना ही काफी होता कि हमारे पास सब कुछ होते हुए भी वो मुस्कान नहीं है। ये मेरे अपने विचार हैं इसे सलाह न समझें।
बहुत बढ़िया!
राम ही रखवाला है उसका!
भोर से देर रात तक
इतने सारे लोग
जाने कहाँ जाते हैं ......
जाने कहाँ से आते हैं ......
और क्यों इतने परेशान हैं .........
कोई पल भर बैठता क्यों नहीं
किसी लैम्प पोस्ट के नीचे
या किसी पेड़ के नीचे
ओह ! शायद ये वंचित हैं इन चीज़ों से
और शायद ......वक़्त से भी.
अब उसे हैरत नहीं होती
वह सबको देख-देख मुस्कराता है
सोचता है -
मैं कितना अमीर हूँ इन सबसे
मेरे पास ढेर सारे लैम्प-पोस्ट भी हैं
और ढेर सारा वक़्त भी.
कहीं भी बैठूं .....कब तक भी बैठूं .
बिना भाग दौड़ के
कितना कुछ है मेरे पास.
जो नहीं मिल पाया इन्हें
इतनी भाग-दौड़ के बाद भी .
बेहद मर्म स्पर्शी और अर्थपूर्ण सर्जन...ढेरों दाद आपके इस प्रयास को
spellbound....!! seriously, cant think of anythin else to say....
आप सब का तह ए दिल से शुर्किया....आप यहाँ तक आये...इस रचना पे ध्यान दिया ....और सराहा ...हौंसला बढाने और साथ देने के लिए आभार
जब आत्मिक शांति मिल जाती है तब मुस्कान चेहरे पर बिखर जाती है और इंसान खुश रहने लगता है …………बस इसिलिये मुस्कुराता है वो क्योंकि आज वो सबसे अमीर है…………।
यही तो सबसे बड़ी वजह है उस मुस्कान की कोई वजह ही नहीं है।
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