बुधवार, नवंबर 27, 2013

सलीक़ा सिखा रब्त निभाने का मुझे





ठीक ही कहते हैं शायद ग़नीम मेरे 

रिश्ते-नाते निभाने नही आते मुझे 

देखो अहबाब मेरे जो दो -चार ही हैं 



कभी कभी इस बद -अख़लाक़ी से



पेश आते हैं मुझसे,कि दिल टूटता है 




सलीक़ा सिखा रब्त निभाने का मुझे 

या उन्हें फ़हीम ओ दर्द-आशना कर दे 

ज़ोया****



ग़नीम - dushman...nafrat krne wale
अहबाब- dost...dear ones 
बद अख़लाक़ी- in rude manner....
फ़हीम - understanding
दर्द आशना- dusron ke dil ka haal smjhne wala...


17 टिप्‍पणियां:

  1. सलीक़ा सिखा रब्त निभाने का मुझे

    या उन्हें फ़हीम ओ दर्द-आशना कर दे
    बहुत सुंदर भाव ....क्या खूब लिखा है ....!!

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  2. @Anupama Tripathi JI.......AAP yaah tak aayi.....aur rchnaa pr ke sraahaann ke liye tah e dil se shurkiyaaa

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  3. Vaanbhattji.....aap ke yahaan tak aane..aaur rchnaa ke liye bahut baut shukriya

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (29-11-2013) को स्वयं को ही उपहार बना लें (चर्चा -1446) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. वाह ! खूबसूरत। …… आपसे उर्दू सीखनी पढ़ेगी :-))

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  6. वाह ! खूबसूरत। …… आपसे उर्दू सीखनी पढ़ेगी :-))

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  7. राजेंद्र कुमार ji......bahut bahuts hukriyaa....aapkaa..

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  8. शास्त्री ji...aapke..sneh..smy aur sraahnaa...teeno ke liye..dhanywaad

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  9. इमरान अंसारी,,ji,,,,,,,,uff..are nhi..urdu bhshaa nhi aati...bas...apne ik dost ka karm he...use sun sun ke..kuch lafzon se mohobbat ho gyi he
    thanxx

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  10. शब्द, यह सही है, सब व्यर्थ हैं
    पर इसीलिए कि शब्दातीत कुछ अर्थ हैं।
    शायद केवल इतना ही : जो दर्द है
    वह बड़ा है, मुझसे ही सहा नहीं गया।
    तभी तो, जो अभी और रहा, वह कहा नहीं गया ।

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  11. शब्द, यह सही है, सब व्यर्थ हैं
    पर इसीलिए कि शब्दातीत कुछ अर्थ हैं।
    शायद केवल इतना ही : जो दर्द है
    वह बड़ा है, मुझसे ही सहा नहीं गया।
    तभी तो, जो अभी और रहा, वह कहा नहीं गया ।

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  12. बेनामी .....hmmmm....haan...shayd...dard bahut bdaa hota he.......aapkaa naam tak hupaaa liya isne...aabhaar aapkaa......yahan tak aane.....mujhe prne...aur..apne amuly shabd likhne ke liye..jo khud apne aapme ik laghu kaitaa...smaan he..dhanywaad....aapkaa

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  13. Main hamesha say he aapko aapki kavitaon ko padhna chahta hun ... kosis jari hai ... sankalit roop main milay to bahut behtar ...

    or .. or .. ki talash main

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  14. hmmmm बेनामी ...:)...upkaar aapkaa...........aapse khyaal rkhne wale kuch khaas log..ya kahun dost ....jinke kaarn thoda bahut likhti hun....aapke shabd pdhe....kuch jaane pehchaane se lge.......:)....bas..yuhin kram rkhiyegaa...is blog ka raasta ghr ke paas rkhiyega....:)....pdhte rahiye..yuih hosnlaa bdhaate rahiye....thode bahut paise jod lungi...to shyad kitaab chaap paaun...chhoti moti..:P....:P.........thanxxxxx a lot....hmm......aate rahiye...honsla bdhaate rahiye

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  15. जब दो चार दोस्त भी मुंह मोड़ने लगें तो ऐसा ही महसूस होता है .... वैसे तो यह भी कहा जाता है ....

    दोस्तों को आजमाते जाइए दुश्मनों से प्यार हो जाएगा :):)

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  16. संगीता dii,.........hmm.sahii keh rhi hain aap...:)

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