रविवार, सितंबर 08, 2019

शून्य से गुणा हो जैसे!



पूरा दिन गणित के सवाल जैसे 
अंत में सब शून्य से गुणा हो जैसे

मेहनत के सिक्के कमाए बहुत 
किस्मत फटी इक जेब हो जैसे 

इतना धूसर सर्द सन्नाटा दिलों में
 मरी चाहों का शमशान हो जैसे

  'ज़ोया' अब हर दिन ऐसे जाता  है 
  क़र्ज़ बकाया,कटती किश्त हो जैसे  




:-ज़ोया**** 


13 टिप्‍पणियां:

  1. पूरा दिन गणित के सवाल जैसे
    अंत में सब शून्य से गुणा हो जैसे
    ये पंक्तियाँ कई अनुमान जगाती हैं....खूबसूरत और सटीक शब्द....बेहतरीन प्रस्तुति

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  2. हर दिन जिंदगी का किश्त सा कट जाता है
    साँसों का लोन लम्हा लम्हा घट जाता है ...
    हर शेर ज़िन्दगी के सफे की परत उघाड़ जाता है ... बहुत लाजवाब ...

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  3. इतना धूसर सर्द सन्नाटा दिलों में
    मरी चाहों का शमशान हो जैसे

    वाह बहुत गहरे भाव हैं।बस पीछे देखे तो ख्वाहिशो के शमशान ही मिलते हैं।
    मेरे ब्लॉग पर आने समय देने के लिए शुक्रिया

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  4. 'ज़ोया' अब हर दिन ऐसे जाता है
    क़र्ज़ बकाया,कटती किश्त हो जैसे
    बेहतरीन व लाजवाब सृजन जोया जी ... बहुत खूबसूरत शब्दों में पिरोया है आपने मन के भावों को।




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  5. संजय भास्‍कर ji

    इंसान और कर भी क्या सकता है अनुमान ही लगा सकता है आने वाले हर दिन का हर पल का ऐसा हो जाये वैसे हो जाए 
    हमेशा उत्साह बढ़ाने के लिए तह इ दिल से शुकिर्या। .युहीं साथ बनाये रखें 
    आभार 

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  6. दिगंबर नासवा ji

    हर दिन जिंदगी का किश्त सा कट जाता है
    साँसों का लोन लम्हा लम्हा घट जाता है ... 
    आहां। .बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ कहीं आपने।  

    हमेशा उत्साह बढ़ाने के लिए तह इ दिल से शुकिर्या। .युहीं साथ बनाये रखें 
    आभार 

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  7. dr.zafar ji

    bahut bahut dhanywaad aapka..sahii treeke se rchnaa pdhi jaaye to likhne wale ko khushi milti he...dhanywaad

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  8. Meena Bhardwaj ji

    aapke snehil aur utsaah bdhaame shbdon ke liye tah e dil se shukriyaa


    yuhin sath bnaaye rkhen

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  9. @मुकेश कुमार सिन्हा ji

    bahut bahut dhanywaad

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  10. Din hii nahi kabhi kabhi zindagi bhi shoonya ho jaati hai...

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