गहरा सा जो वास्ता था कोई
सच था , या वो धोखा था कोई
गहरी सी जिसकी गिरहैं हैं सारी
सच था , या वो धोखा था कोई
गहरी सी जिसकी गिरहैं हैं सारी
मीठी सी मिसरी हैं यादें सारी
खुद में समेट लिया है मैंने उनको
कोकून सा बांध लिया है खुदको
पकेगा इक दिन समय भी मेरा
पकेगा इक दिन समय भी मेरा
बदल जाएगा ये रूप मेरा
सतरंगी परों से मैं सज उठूँगी
हर धागा काट मैं उड़ पड़ूँगी
सतरंगी परों से मैं सज उठूँगी
हर धागा काट मैं उड़ पड़ूँगी
हर इक बंधन फिर खुल उठेगा
गिरहों से छूट ये मन उड़ेगा
और फिर यूँ जाये शायद
आ बैठूं पहने रंग और महक मैं
बन के तुम्हारे काँधे की तितली
उठा के हाथों में तुम फिर मुझिको
दुआ में कुछ उस ''रब'' से मांगो
जलूं मैं फिर उस दुआ के नूर से यूँ
की मिल जाए तुमको तुम्हारी मनचाही नेमत
16 टिप्पणियां:
वाह !बेहतरीन सृजन 👌
कोकून सा बांध लिया है खुदको
पकेगा इक दिन समय भी मेरा..लाज़बाब
anita ji
utsaahvardhak shabdon ke liye bahut bahut dhanywaad
aabhar
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " गुरुवार 26 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मीठी सी मिसरी हैं यादें सारी ... सुंदर शब्द और भाव लिए प्यारी सी रचना के लिए बधाई
जबरदस्त बिंब लिए हैं ज़ोया जी, कोमल भावों को मुखरित करते गहरे एहसास।
अप्रतिम।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह बहुत ही बेहतरीन ....
पकेगा इक दिन समय भी मेरा .... वाह ! बहुत ही सुंदर
मीना जी बहुत बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए और हमेशा की तरह उत्साह बढ़ाने के लिए सच। ...बहुत हौंसला मिलता है आपके शब्दों से धन्यवाद
सदा ji
ब्लॉग तक आने के लिए और रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार धन्यवाद
Kusum ji
utsaah bdhaane ke liye bahut bahut aabhaar aapkaa
Manju Mishra ji
blog tak aane aur rchnaa ko psnd krne ke liye tah e dil se shukriya
yuhin sath bnaaye rkhen
shaweta ji
meri rchnaa ko chunnane ke liye bahut abhar
utsaah bdhane ke liye dhanywaad
पास पड़े सोने की कद्र नहीं उसको मगर नेमत उसकी जंग लगी कील की है। इश्क में ऐसे होने पर मलाल ही मिलता है
ये बात वो अब नहीं जानता।
शानदार अभिव्यक्ति।
पधारें - शून्य पार
Rohitas ji
ik smay ke baad kadr yaa bekdari ke maayne khtam ho jaate hain...:)
blog tak aane..rchnaa ko pdhne aur sraahne ke liye tah e dil se shurkiya
मन के कोमल भाव कविता बनकर मुखरित हुए हैं !
देर से पहुंचा
लेकिन बहुत ही बढ़िया रचना मिली !!
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