गुरुवार, अगस्त 22, 2019

'कान्हा'

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। 


तुम्हे देख कर 
ये जाना मैंने,
दुआओं का भी 
रंग होता है!

'कान्हा' से 'कान्हा' 
पाया है मैंने 
हर पल 'वो' मेरे 
संग होता है

आंसुओं से धुप 
छानी है मैंने 
ज़माना ये सारा 
दंग होता है 
 :-ज़ोया



माखन  गया 
अफसर पटाने में 
'कान्हा' हाय ! रूठे 


इक तू  साँचा 
साँचा तेरा नाम 
बाकि सब झूठे !

बस अब आओ 
अपना लो मुझको 
बेर हूँ जूठे !

:-ज़ोया


#ज़ोया, #कान्हा

10 टिप्‍पणियां:

Digvijay Agrawal ने कहा…


आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 23 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@Digvijay Agrawal ji

rchnaa ko is kaabil smjhne ke liye bahut aabhaar aapka


apko spriwaar janamashtmi ki shubhkaamnayen

Meena Bhardwaj ने कहा…

बेहतरीन सृजन ।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@Meena Bhardwaj ji

blog tak aane aur rchnaa ko pdne ke liye aabhaar

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@मन की वीणा

:)


aabhaar

yuhin utsaah bdhaate rahiye

विश्वमोहन ने कहा…

वाह! 'आंसुओं से धूप छानी है मैने....'! बहुत सुंदर!!!

Cbu ने कहा…

अच्छा.... तभी मै कहूँ... ये दम क्यूँ घुटता रहता है इक अर्से से... सारी आक्सीजन (O2) तो यहां है।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

विश्वमोहन ji

blog tak aane aur rchnaa ko sraahna ke liye bahut aabhar aapka

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

hmmmmmmm


:)
हमेशा खुश रहो