मंगलवार, नवंबर 16, 2010

ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता !




ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता

जैसे साँस से साँस का रिश्ता
इक आये ..........इक जाए
एक के आते ही पहली टूट जाए
जुड़ती हैं टूटती हैं..फिर से जुड़ जाती हैं
पर नये जोड़ में जुड़ने से पहले
जुड़ के फिर टूटने से पहले
अंतिम सपर्श लिए जाती हैं..

जैसा है साँस से साँस का रिश्ता
ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता!

बरसे स्वाति की  बूँद गगन से
लिपटे सागर की उन्मद लहरों से
कोख में सोयी सीप क्या जाने
कब मोती लिपटे  उसकी गर्भ से  
वैसा ही विचलित मन है मेरा
मोती सा है प्यार तुम्हारा
मेरे मन का सीप भी सोचे
तुम स्वाति बन आये कहाँ से
जैसा सीप और स्वाति का रिश्ता
ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता !

देखे सब कुछ ..बोल ना बोले
बिन बोले हर रहस्य ये खोले
आँखों की है अपनी ही भाषा
देती हर अनुभूति को परिभाषा
पर ये भी अपने संयम से छुटें
जब मन के अंतर्घट में कुछ टूटे
देखी ये भी अद्वीत्य रीत है
मन से आँखों की कैसी प्रीत है
चुभन उठे जो एक के भीतर...
बन जाती वो दुसरे की टीस है

जैसा आँखों से है मन का रिश्ता
ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता !

...................................ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता !

10 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता .......
    एक टूटता है दूसरा जुड़ता है ..........पहला टूटता है तभी तो दूसरे को जुड़ने का अवसर मिलता है ............पतझड़ के बाद तभी तो पेड़ भी नए-नए परिधान में सज-धज के मुस्कराते हैं .......टूटने की पीड़ा को भूलना और जुड़ने के आनंद का स्वागत करना ......यही तो विशेषता है मनुष्य की .
    भावों की सुन्दर प्रस्तुति .....पर लगता है ज़रा ज़ल्दी में लिखा ....हिज्जे सुधार लें तो और अच्छा लगेगा

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  2. किसकी बात करें-आपकी प्रस्‍तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्‍ददायक हैं।

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  3. :) Kaushalendra ji and Bhaskr ji............aap don ka tah e dil se shurkiyaa

    take care
    asie hi sath bnaaye rkhen

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  4. गज़ब के भाव भर दिये हैं …………रिश्तों को एक मंज़िल दे दी है……………लाजवाब प्रस्तुति।

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  5. वाह .. क्या बात है ... कितना खूबसूरत रिश्ता है ... बेहतरीन प्रस्तुति जोया ...

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  6. @Vandna ji...aapka bahut bahut shurkirya

    @Kshitija ....hmmm....achaa lgtaa.he jab aap...zoya keh ke bulaati hain..:)............
    tahnx a lot
    take care

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  7. जैसा आँखों से है मन का रिश्ता
    ऐसा है मेरा और तुम्हारा रिश्ता ...

    ----

    यही तो है सच्चा रिश्ता !

    .

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  8. सुन्दर रचना ,सुन्दर भाव !

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  9. misir ji...aur Zeal,...aap dono ka tah e dil se shukriyaaa

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