सोमवार, दिसंबर 20, 2010

पलाश के फूल -1


अनजाने ही में इक पहचानी सड़क से गुजरी
यूँ लगा तेज़ हवा ने पुराने पन्ने पलट दिए 
और सालों पहले की इक तारीख
आँखों के सामने आ गयी
आज सालों बाद फिर उसी सड़क से गुजरी
जो ढकी रहती थी कभी
पलाश के लाल लाल फूलों से
लाल रंग से रंगी सड़क पे चलते- २ तुम कहते
जानती हो ये पलाश के फूलों का नर्म गलीचा
मैंने बनवाया है इन पेड़ों से कह के,तुम्हारे लिए  
जो तुम नंगे पावं चलोगी तो अल्ते का असर देंगे
हथेलियों पे मलोगी तो हलकी मेहंदी की रंगत देंगे
बालों में सजालोगी तो गजरा बन जायेंगे
और उलझा देते  कलियाँ तोड़-तोड़  के अक्सर
मेरे बालों में और फिर देर तक निहारा करते
घंटो बीत जाते .......................इसी खेल में
इक कतार में करीने से लगे पलाश के ये पेड़
हमारे साथ-२ चलते ,खेलते ,लड़ते ,मुस्कुराते
पहले पेड़ से चलते -२ आखिरी तक पहुँचते- २
हमारी शामे रातों का सफ़र तय कर लेती
कितने पलाश के फूलों के गहने गजरे सजाये थे
नारंगी संतरी ..लाल लाल से.पलाश के ये फूल
रंगों का ऐसा ताल मेल बिठाते के
लगता मानो सिन्दूर की होली खेल रहें हो
इक दिन फूलों के छोटे-२ टुकड़े कर तुमने
मेरी मांग में सजा के कहा था
तुम शादी के वक़्त इन्हें ही भरना मांग में
मैं पलाश के इन फूलों को सम्भाल कर रखूंगा !


पर आज की तारीख में नज़ारा बदल गया है
आज उस सड़क से गुजरी तो एहसास हुया
वक़्त कितना बदल चुका है.....................
............................और सड़क का रंग भी
पहले सी अब पलाश के पेड़ों की
 वो लम्बी लम्बी कतारें नही रही
वक़्त के साथ-२ वो पेड़ कटते गये
सड़के चौड़ी  होती गयीं
तरक्की हो रही है, जिंदगी आगे बढ़ रही है
जो ढकी रहती थी कभी लाल फूलों से
 वो सड़कें अब पक्की हो चुकी हैं
वक़्त बहुत तेजी से बढ़ रहा है यहाँ !

तुमने जो पलाश के कुछ फूल सम्भाल के
मेरी जेहन की मांग में बो दिए थे
बस अब वो ही आखिरी निशानी बची हैं
और ये फूल अब संकरा कर रहे हैं 
मेरी दिल ओ ज़ेहन की सड़कों को
अब के इन्हें  भी कटवा दूंगी मैं  
मैं भी तरक्की करूं , जिंदगी आगे बढाऊं
.

पलाश के फूलों का वैसे भी अब मौसम नही रहा .......
.
.
.

22 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

absolutely amazing....beautiful nazm, bohot bohot hi acchi hai....palaash ke phool.....thought hi itna khoobsurat hai....lovely :)

ManPreet Kaur ने कहा…

bahut khoob likha hai aapne...
mere blog par bhi kabhi aaiye
Lyrics Mantra

संजय भास्‍कर ने कहा…

Beautiful Beautiful Beautiful Beautiful Beautiful .........as always.

vandana gupta ने कहा…

ओह! ये क्या कह दिया आखिर मे………………हम तो इनमे डूब ही गये थे कि आपने तो सारे ख्वाब ही धराशायी कर दिये……………बडी उम्दा प्रस्तुति है बहुत ही पसन्द आयी।

बेनामी ने कहा…

आपकी इस सुन्दर और सशक्त रचना की चर्चा
आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

behatrin rachna.........bhut hi sundar....dil ko bilkul chu ke nikal gaya............its very lovely & sensitive poem....thnks

मनोज कुमार ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

@Saanjh ..Parul ji..
@Harman ji...
@Sanjay ji
@Vandna ji..
@Mayank ji..
@Shivam ji...

Thnaxxxxxxxxxxxxxxx to uu aal ..for yr kind concern and nice words
take care

abhi ने कहा…

लाजवाब..क्या बात है..
बहुत उम्दा... :)

The Serious Comedy Show. ने कहा…

zindagee,prem,rishton ko khoobsoorat dhang se parosaa aapne.bahut khoob.

i am sure becoming a fan.

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने........सुंदर एहसास

सृजन शिखर पर ---इंतजार

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने........सुंदर एहसास

सृजन शिखर पर ---इंतजार

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

निःशब्द .... आपकी इस रचना ने बिलकुल चित्र की भाँती जीवन खोल के रख दिया है ... वाह ... कुछ कहना मेरे बस में नहीं ..

धीरेन्द्र सिंह ने कहा…

पढ़ते-पढ़ते ना जाने कब
उतर गया मैं उस पलाशी सड़क पर
एक परछाईं की तरह
चलने लगा,गुनने लगा
कविता के हर शब्द को
धड़कनों के हर भाव को
कितना अच्छा लगता है जब
कविता अंगुली पकड़
भावों में डुबाती है
नग़में ज़िंदगी की सुनाती है.

खबरों की दुनियाँ ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति - अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

Kunwar Kusumesh ने कहा…

तुमने जो पलाश के कुछ फूल सम्भाल के
मेरी जेहन की मांग में बो दिए थे
बस अब वो ही आखिरी निशानी बची हैं
और ये फूल अब संकरा कर रहे हैं
मेरी दिल ओ ज़ेहन की सड़कों को

कुछ अजीबोगरीब प्रतीक और बिम्ब हैं भई

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

जो तुम नंगे पांव चलोगी तो अल्ते का असर देंगे
हथेलियों पे मलोगी तो हलकी मेहंदी की रंगत देंगे
बालों में सजालोगी तो गजरा बन जायेंगे

गहन भावों और सुंदर शब्दों के संयोजन से बनाई है आपने यह कविता कृति।
...शुभकामनाएं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

और ये फूल अब संकरा कर रहे हैं
मेरी दिल ओ ज़ेहन की सड़कों को
अब के इन्हें भी कटवा दूंगी मैं
मैं भी तरक्की करूं , जिंदगी आगे बढाऊं


इन पंक्तियों में दर्द का एहसास ...बहुत खूबसूरत नज़्म

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

कल 11/12/2012को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं .... !!
आपके सुझावों का स्वागत है .... !!
धन्यवाद .... !!

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही उम्दा और सार्थक प्रस्तुति.

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत खूबसूरती से भाव पेश किये है.