बुधवार, जनवरी 19, 2011

केमिकल लोचा-The Chemical Locha

अक्सर बुरी तरह से उलझी रहती हूं अपने काम में,तो सोचा उसी पे कुछ लिखूं (वैसे उम्दा  शायरों से गुजारिश है इसे  सिर्फ इक  केमिकल लोचा समझ के ही पड़े
कोई नियम ना देखे .क्यूँकी  कोई नियम है ही नही बस इक हल्का-फुल्का सा लेखन मेरी भरी भरकम पी.एच.डी के नाम ...


ना जाने कितने दिनों से युहीं उलझी पड़ी हूं
बार बार इक ही इकुएशन पे ही अड़ी हुई हूं
न pH Set बैठ रहा है कहीं पर न सोडियम
पिछले हफ्ते से लैपटॉप पे सर रख सो रही हूं

खवाबों में अब फ्लोराइड नाईटरेट से लड़ता है
आँख खोलूं तो एकुयाकेम का भूत डराता है
अपना ही घर लगने लगा है अजनबी- 2 सा
सारा घर केमिकल लोचे से घबराता है

महसूस  होता है हर तरफ लैब सा माहोल
Husband भी लैब attendant सा दिखता है
'वो" रहते हैं दुसरे कमरे में जा कर अब तो
मेरे साथ अक्सर कागजों का लंगार जो होता है
D.A.R* के सर से हटे केमिकल लोचे का भूत
हे प्रभु,बस जल्दी से ऐसा कुछ उपचार करो
SAR ,SSP, RSC की सेटिंग का कर समाधान[
सुलझा मेरी उलझन, इस अबला पे उपकार करो !


.....................

[*D.A.R= Detailed Analysis Report]
[SAR,SSP,RSC---Chemical Locha ]

21 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत रोचक...इस कैमिकल लोचा का तो कुछ लैब analysis करवाना ही चाहिए..

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही सुंदर...........लगता हो कोई केमिकल रिएकसन हो गया है,........

बेनामी ने कहा…

Ha Ha Ha Salute to You Mam
Even I am a student of Science and can well understand this Chemical Locha Of Yours.You are just wonderful and your innovation n creativity is well visible.Great creation.Hope to read a lot of such Great stuff.Keep goin on.This one is just GREAT.

राज भाटिय़ा ने कहा…

सवा किलो देशी घी के लड्डू गणेश जी को चढाओ, फ़िर हनुमान जी के नाम से सोहला सोम वार वर्त रखो, फ़िर भगवान अगर खुश हुये तो सपने मे दर्शन दे कर इस लोचे का हल बतायेगे, तब तक राम राम जपे :) बहुत सुंदर आप का यह किस्सा लगा. धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

;)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

samajh sakti hun is loche ko , apne bachchon ko yun hi sote dekhti hun

The Serious Comedy Show. ने कहा…

अम्लीय कविता......लवणीय टिप्पणी.

बेनामी ने कहा…

जोया जी,

बच के रहना रे बाबा.......ये कैमिकल लोचे बड़े खतरनाक हैंगे जी.....

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

परसों ही सोचा था कि तुमसे कहूंगा ....पीएच.डी. में अभी जिस मुकाम तक पहुँची हो और ज़ो घर की ज़ो अस्त-व्यस्त हालत है ..कुछ उस पर लिख डालो तो मन थोड़ा हल्का होगा.....और देखो ....आज तुम्हारे केमिकल लोचे से रू-ब-रू हो रहा हूँ......बस अब गाड़ी लगभग पार ही समझो....थोड़ी और मेहनत कर लो...वैसे यह भी तय है कि थीसिस सबमिट हो जाने के बाद तुम्हें बहुत बोरियत होगी ...तब यही लैपटॉप पर सिर रखकर सोना बहुत याद आयेगा. तुम्हें ढेर-ढेर आशीर्वाद.

Mithilesh dubey ने कहा…

कोई बात नहीं आल इज वेल ।

Mithilesh dubey ने कहा…

कोई बात नहीं आल इज वेल ।

Anupriya ने कहा…

so sweet...aapke chemical locha bada hi interesting hai ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:) :) बहुत बढ़िया ....जल्दी से थीसिस जमा करो तो यह भूत भी उतर जायेगा

संजय भास्‍कर ने कहा…

D.A.R* के सर से हटे केमिकल लोचे का भूत ......बहुत रोचक

Kunwar Kusumesh ने कहा…

क्या बात है,ज़ोया जी.
चारो तरफ कैमिकल ही कैमिकल है.
चलिए यूँ कहते हैं की कविता कैमिकल से लबरेज़ है और इसलिए इसमें एक नयापन दिखा.
हा हा हा............

vandana gupta ने कहा…

अरे हद है इस लोचे की…………जल्दी से पूरा करो और आराम से सो जाओ…………इसे एक वार्निंग दे दो कि जल्दी पूरा हो जाये वर्ना……………बस फिर हो जायेगा।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

लोचा तो है पर है शानदार ... सो बधाइयाँ और शुभकामनाएं ... इस रचना के लिए भी और आपकी Phd. के लिए भी !

अरुण अवध ने कहा…

वीनस जी लोचे तो होते रहते हैं ,बस आपस की केमेस्ट्री ठीक होनी चाहिए !
रचना के लिए बधाई !

अरुण अवध ने कहा…

वीनस जी लोचे तो होते रहते हैं ,बस आपस की केमेस्ट्री ठीक होनी चाहिए !
रचना के लिए बधाई !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आपने तो बहुत अच्छा लिखा है..... ऐसी विज्ञान की शब्दावली लेकर रचना उकेरना आसन नहीं है..... खूब....

Unknown ने कहा…

जोया तुम भी......................वाह