मंगलवार, अप्रैल 12, 2011

शहद सा तुम्हारा नाम



शहद सा तुम्हारा नाम

सालों से चिपका पड़ा है

मेरे सूखे ,ज़र्द होंठों से

इक दिन दिल पक्का कर

हटाने की कोशिश भर की थी

........सारे होंठ छिल गये हैं

और अब  शहद के साथ- साथ

खारा स्वाद भी आता है जीभ पे !


ज़ोया****

20 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे लेखन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
    मेरा ब्लॉग भी देखें दुनाली

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  2. और अब शहद के साथ- साथ

    खारा स्वाद भी आता है जीभ पे !

    कमाल की पंक्तियाँ हैं !

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  3. बहुत सुन्दर एहसास|

    राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  4. क्या बात है.....सुभानाल्लाह......कुछ ताजगी महसूस हुई है इस पोस्ट से......कुछ अलग हटकर......तस्वीर ने चार चाँद लगा दिए हैं ........बहुत पसंद आई ये पोस्ट.....वाह

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  5. उफ़ कमाल करती हो।

    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  6. एहसास की खूबसूरत रचना

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  7. ढेर सारी मिठास भरी रचना..लें कुछ खारापन भी है इसमें...!

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  8. कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

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  9. aap sab ne apnaaa kimati nikalaa meri rchnaa ke liye...bhaaw smjhe...aur sraahaa......aap sab ka tah e dil se shurkiyaaaa
    take care

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  10. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  11. क्या कहें की कलम साथ नहीं देती
    खूबसूरत रचना

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  12. ........सारे होंठ छिल गये हैं

    और अब शहद के साथ- साथ

    खारा स्वाद भी आता है जीभ पे !

    बेहतरीन रचना ......

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  13. पुरानी स्मृतियों की त्वचा कभी पृथक नहीं हो पाती .......बलात पृथक करने से होठ छिलेंगे ही ..........मीठे दर्द की अनुभूति के साथ एक अच्छी रचना.

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