मंगलवार, मई 17, 2011

राज़





शाम को ओढ़े वो रात तक बैठी रही 

ना कोई आवाज़ ना ही कोई ज़ुम्बिश

देखो तो लगे उस साये के साये में 

घने- गहरे राज़ चैन से सो रहें हों  

ग्हम्माज़ हवा ने कोशिश तो बहुत की 

जुल्फों को हटा कुछ असरार जानने की 

पर रात कुछ यूँ पसरी थी उसपे 

की बस इक अँधेरे के सिवा कुछ ना था 

कुछ देर उलझ के, हवा भी चली गयी 

हलकी सी ज़ुम्बिश हुई 

संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ

और इक आंसू गालों से ढलता हुआ

ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया ,जिस तरह 

वो राज़ दफ़न हैं कहीं, जिसे हर रात 

ग्हम्माज़ हवा ढूंढने की कोशिश करती है 

रात में लिपटी वो युहीं रातभर बैठी रही 

सहर तक घूंट घूंट चांदनी पीती रही

ना कोई आवाज़ ना ही कोई ज़ुम्बिश

देखो तो लगे उस साये के साये में 

घने -गहरे राज़ चैन से सो रहें हों !
                                                     
                                                                                                                                             जोया****



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ज़ुम्बिश - Movement
ग्हम्माज़ -informer
असरार-secrets
संगीन -heavy,made of stone

11 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हलकी सी ज़ुम्बिश हुई

संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ

और इक आंसू गालों से ढलता हुआ

ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया bahut badhiyaa

M VERMA ने कहा…

शब्द शब्द नि:शब्द कर रहे हैं
बहुत सुन्दर

Kailash Sharma ने कहा…

हलकी सी ज़ुम्बिश हुई

संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ

और इक आंसू गालों से ढलता हुआ

ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया

....बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

आज बहुत दिन बाद आयी हो इधर ......वह भी इतना गहरा गम लेकर !
पर बिम्बों का बहुत अच्छा प्रयोग किया है अन्वेषिका ने. साए के साए में दफ़न राज़ का पता हवा को भी नहीं लग सका ......
राज बहुत गहरा है और दर्द भी ......
चलो दर्दों से ही दिल लगाते हैं.......

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही खुबसुरत भावों से भरी रचना....बहुत सुंदर।

Vaanbhatt ने कहा…

रात सारे राज़ जज़्ब कर लेती है...तभी तो रात ओढ़ के सुकून रो सकते हैं...दिन के उजाले में तो ये आंसू राज़ बयां कर देंगे..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

देखो तो लगे उस साये के साये में
घने -गहरे राज़ चैन से सो रहें हों !

पढते हुए लगा की न जाने कितने राज़ छिपे हुए हैं इस नज़्म में ...

इतने दिन कहाँ रहीं ?

बेनामी ने कहा…

सुभानाल्लाह.......क्या खूब कहा है......खूबसूरत नज़्म......हैट्स ऑफ

vandana gupta ने कहा…

उफ़ क्या कहूँ ? बेहतरीन बिम्बो से सजे राज़ कोई कैसे उघाडे? बेहद गहन्।

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति|धन्यवाद|

बेनामी ने कहा…

ufffff...........

:)