शाम को ओढ़े वो रात तक बैठी रही
ना कोई आवाज़ ना ही कोई ज़ुम्बिश
देखो तो लगे उस साये के साये में
घने- गहरे राज़ चैन से सो रहें हों
ग्हम्माज़ हवा ने कोशिश तो बहुत की
जुल्फों को हटा कुछ असरार जानने की
पर रात कुछ यूँ पसरी थी उसपे
की बस इक अँधेरे के सिवा कुछ ना था
कुछ देर उलझ के, हवा भी चली गयी
हलकी सी ज़ुम्बिश हुई
संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ
और इक आंसू गालों से ढलता हुआ
ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया ,जिस तरह
वो राज़ दफ़न हैं कहीं, जिसे हर रात
ग्हम्माज़ हवा ढूंढने की कोशिश करती है
रात में लिपटी वो युहीं रातभर बैठी रही
सहर तक घूंट घूंट चांदनी पीती रही
ना कोई आवाज़ ना ही कोई ज़ुम्बिश
देखो तो लगे उस साये के साये में
घने -गहरे राज़ चैन से सो रहें हों !
जोया****
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ज़ुम्बिश - Movement
ग्हम्माज़ -informer
असरार-secrets
संगीन -heavy,made of stone
11 टिप्पणियां:
हलकी सी ज़ुम्बिश हुई
संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ
और इक आंसू गालों से ढलता हुआ
ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया bahut badhiyaa
शब्द शब्द नि:शब्द कर रहे हैं
बहुत सुन्दर
हलकी सी ज़ुम्बिश हुई
संगीन पलकें उठी ...चाँद की तरफ
और इक आंसू गालों से ढलता हुआ
ज़ुल्फ़ में जा दफ़न हों गया
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
आज बहुत दिन बाद आयी हो इधर ......वह भी इतना गहरा गम लेकर !
पर बिम्बों का बहुत अच्छा प्रयोग किया है अन्वेषिका ने. साए के साए में दफ़न राज़ का पता हवा को भी नहीं लग सका ......
राज बहुत गहरा है और दर्द भी ......
चलो दर्दों से ही दिल लगाते हैं.......
बहुत ही खुबसुरत भावों से भरी रचना....बहुत सुंदर।
रात सारे राज़ जज़्ब कर लेती है...तभी तो रात ओढ़ के सुकून रो सकते हैं...दिन के उजाले में तो ये आंसू राज़ बयां कर देंगे..
देखो तो लगे उस साये के साये में
घने -गहरे राज़ चैन से सो रहें हों !
पढते हुए लगा की न जाने कितने राज़ छिपे हुए हैं इस नज़्म में ...
इतने दिन कहाँ रहीं ?
सुभानाल्लाह.......क्या खूब कहा है......खूबसूरत नज़्म......हैट्स ऑफ
उफ़ क्या कहूँ ? बेहतरीन बिम्बो से सजे राज़ कोई कैसे उघाडे? बेहद गहन्।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति|धन्यवाद|
ufffff...........
:)
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