बुधवार, फ़रवरी 13, 2013

फ़िक्र ओ अफकार




यूँ आ पहुँचते हैं तुझ तक रोज़ मेरे फ़िक्र ओ अफकार 
ज्यूँ शाम ढले दर्मान्दाह शम्स जा पहुंचे मग़रिब तक 

जोया**** 

3 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर ...

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति आदरेया |
शुभकामनायें-

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

aap dono yahaan tak aaye mere likhe ko saraahaa...tah e dil se shukriya