गुरुवार, फ़रवरी 21, 2013

मुझमे तो अभी खून दौड़ता है




अब आ जातें हैं उनके ख़त 
पैगाम लिए के अब लौट आओ 
उसी घर में पहले पहल 
जहां दिल का बसेरा हुआ था 

इस बात से  इक ख्याल आया 
अक्सर रेलगाड़ियों को देखा है  
इक स्टेशन से उठा के अपना जिस्म 
नई राहें ..नई मंजिलें तय कर 
कुछ वक़्त बाद उसी पे लौट आती हैं 

शायद बताना पड़ेगा उन्हें ,
     की मैं इंसान हूँ 
मुझमे तो अभी खून दौड़ता है 

कुछ महीने पहले जब नब्ज़ काटी 
    तो खून फव्वारे सा बहा था ...!


जोया****






7 टिप्‍पणियां:

  1. जोया जी....आप बेहतरीन लिखती हैं...
    बहुत खूब

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  2. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

    ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  3. "kuch mahine pahle jab nabz kati
    khoon favvare sa baha thaa"

    d very very upto infinite loop

    ever the worst righting for a loving n caring person......

    If u really want 2 save the earth
    don't try 2 right next time same

    baaki aapki kriti bahut badiyaa hai

    hum sabhi shubh-chintakon kii ore se aapko pyaar bhari bachchon waali daant........

    thanks n hope for GOOD time in LIFE

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