गुरुवार, अप्रैल 25, 2013

घुटन के गुब्बारे





कस  के हाथ कानों पे रखे थे मैंने 
फिर भी यूँ लग रहा था मानो 
शोर दिमाग की नसें चीर डालेगा 
घुटन के गुब्बारे उफन उफन के 
छत से टकराते और लौट आते 
सारा कमरा भर गया गुब्बारो से 
दबाव तेज़ी से बढ़ रहा था उनमे 
और बढ़ता जा रहा था उनका आकार भी
देखते ही देखते संख्या भी बढने लगी  
और बढ़ता जा रहा था उनके टकराने से 
उत्पन होता शोर भी !

और फिर एक धमाका - "बुम्म्ब " 
जहाँ तहां बिखर गये गुब्बारों के चीथड़े 
इक गर्म सा टुकड़ा  आँख पे  आ गिरा
आह ! और नींद से जाग उठी  

जाने मैं सपने में थी के 
सपने में वास्तविकता थी !

दबाव इतना बढ़ गया गुब्बारों में की सह नही पाए  

शुक्र है 
दिमाग पे भौतिक विज्ञान के नियम लागू नही होते !

 जोया

16 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्र है दिमाग पे भौतिक विज्ञान के नियम लागू नही होते !... punch line :)

    जवाब देंहटाएं
  2. दिमाग पर रसायन के नियम लगते हैं...
    ओसमोटिक प्रेशर बढ़ते ही सब रिस जाता है बाहर...

    बेहतरीन अभिव्यक्ति..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. vandnaa di......meri post shaamil krne ke liye shukriyaaa........bahut aabhaar

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर प्रस्तुति
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post बे-शरम दरिंदें !
    latest post सजा कैसा हो ?

    जवाब देंहटाएं
  5. ब्लॉग बुलेटिन, Mukesh ji , expression of Anu :)....aap sab mere blog tak aaye...mere likhe pe apna kimati waqt diya....sraahaa..aap sab ka bahut bahut aabhaar

    जवाब देंहटाएं
  6. कालीपद प्रसाद ji......aapkaa bahut bahut aaabhaar....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत डीनो बाद दिखाई दी हो ..... बहुत गहन बात ....

    जवाब देंहटाएं
  8. Neelima and संगीता ji......aap sab ka bahut bahut dhywaad..............:)

    जवाब देंहटाएं
  9. घुटन के गुब्बारे-----
    दरअसल यह रचना नहीं जीवन की सच्ची अनुभूति है
    आपने इसका जो शब्द चित्र उकेरा है
    वह मार्मिक और भावपूर्ण है
    सार्थक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर प्रस्तुति
    बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है!

    जवाब देंहटाएं
  11. संजय भास्‍कर ji

    :)
    bahut acha alga jaan kr...aap intzaar rk rhe the......ye apne aap me sukhad anubhuti he
    dhanywaad

    जवाब देंहटाएं
  12. You could definitely see your skills in the work you write.
    The arena hopes for more passionate writers like you who aren't
    afraid to say how they believe. At all times follow your heart.


    Take a look at my blog: Height Increasing Insoles

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ह्म्म्म्म्म्म......benami .....aaapke shabd ik ajeeeb sa skoon dete hain.....jaise ki koi baat us trha smjh rha he jis trha se aapne kahii

      Hmmmm

      Aapke blog ka link try kiya...hmmm...koi aur site khuli...

      Bahuttt dhanywaad aapka

      Hmmm

      हटाएं