मंगलवार, अप्रैल 30, 2013

मुई अमावस ने टोका था !

उम्र गुज़र गयी इस चाँद पे

कलम टिका के लिखते लिखते

हुआ कलाम जो पूरा तो जाना

कुछ पन्ने थे उज्ज्ले उज्ज्ले
  
और कुछ पन्ने गहरे काले थे

मैंने तो नज़र टिका के बस हमेशा

चाँद देख देख ही लिखा था

पर भूल गयी थी ये मैं लेकिन

हर 15 दिन में मेरी कलम को

इस मुई अमावस ने टोका था !
जोया  

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