''अल्हड़ गुड़हल'' यही नाम रखा था तुमने इसका
सही नामकरण हुआ था इसका , एकदम सटीक
मुझसे यही एक हाथ ही ऊँचा होगा शायद
पर यूँ लदा रहता सुर्ख लाल फूलों से
ज्यूँ किसी अल्हड़ ने लाल फूलों के
पांच दस गुच्छे सज़ा लिए हों अपने बालों में
ज़रा सी हवा से गुच्छे आपस में टकरा जाते
और यूँ बिख़र जाते यहाँ वहाँ
ज्यूँ गज़रे कि कलियाँ बिखरें
ज्यूँ गज़रे कि कलियाँ बिखरें
इसकी कमसिन अल्हड सी छाया में
जाने कितनी मुलाकातें सजती
कितनी ही बाते-हिकायतें जन्म लेती
गर कभी कोई फूल ज़ुल्फ से उलझ जाता
तुम टेढ़ा सा मुहँ बना चिड़ के कहते,
''बस इसकी यही बात पसंद नही मुझे"
''बस इसकी यही बात पसंद नही मुझे"
ये तो बस मेरा हक़ है"!
और फिर फ़ैल जाती पाँचों ओर
इसकी पंखुड़ियों सी हमारी खिलखिलाहट !
पर सालों बाद, देखा इसे तो स्तब्ध रह गयी
उसपे कोई फूल नही था .. पत्ते भी ना के बराबर
साया तो ज्यूँ खुद उससे अपनी बाज़ुएँ छुडा रहा हो
खूब सीँचा तुमने इसे शायद, मेरे जाने के बाद
खूब सीँचा तुमने इसे शायद, मेरे जाने के बाद
मगर खारे पानी से .. अपने दामन की ही तरह
अछा सुनो! मेरा इक काम कर सको तो कर देना
गुज़रों उधर से जो फिर कभी गलती से तुम
तो उस गुड़हल को कोई नया नाम दे देना
अक्सर देखा है मैंने, नया नाम जुड़ने से
नया रंग चढ़ जाता है, नया सफर शुरू हो जाता है !
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13 टिप्पणियां:
वक़्त कि दस्तकें कहाँ बख्शती हैं किसे। …………और ये पाँचों ओर अभी तक तो चरों और ही सुना था जी :-)))
इंसानों की तरह पेड़ों को भी रिश्तों की दरकार होती है...प्रेम ही सब रिश्तों का आधार है...नया नाम शायद उसके जीने का सबब बन जाए...उत्तम...
prem to hai hi aisa jo,nirjiv ko bhi sajiv kar deta hai...!
Panchwi disha wo ansari jee jo dil say dil ko jatee hai.. Wo kahtay haina dil ko dil ki raah hote hai
ansaari ji...thanxx a lot...:)..hmeshaa...utsaah bdhaane ke liye..
paancho..:P...yahaan ye gudhal ke sandrbh me kahaa he...uski paanch pankhudiyaa hoti hain ..:)....:)
Vaanbhatt ji...tah e dil se shukriyaa...likhe ko gehraayi se smjhne ke liy...thanx a lot
Parul thanx alot dear....:)..
बेनामी ji...:)..
hmmm
shukriyaa..nyiidishaa ka ptaa btane ke liye..:)
hmeshaa ki trha shukriyaa
Pancho disha ..... charo disha to hai he or venus jee main to ek disha to dil ki bhi manta hun...
और फिर फ़ैल जाती पाँचों ओर
इसकी पंखुड़ियों सी हमारी खिलखिलाहट !
hai na ... :)
बेनामी ..:)...hmm.jis disha ki aap baat maan rhe..basiclly sabse prfect dish whi hoti he jo aksr imperfect fasily krwaa deti he..:)...shukriyaa...:)
take care
दिल को छूते बहुत कोमल अहसास...
sanjay ji...bahut bahut shurkiyaa aapkaa
नया नाम जुड़ने से
नया रंग चढ़ जाता है,
नया सफर शुरू हो जाता है !
हां जोया जी
कई बार देखते हैं कि बच्चों का नाम बदल देने के बाद उनमें चमत्कारी बदलाव आ जाते हैं...
:)
सुंदर कविता !
बहुत बहुत शुभकामनाएं...
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