जिंदगी और मेहँदी , दोनों एक सा असर रखती हैं
पहले पिसती हैं फिर देर बाद असल रंग दिखाती हैं
बस दोनों ही दोनों सब्र तलब हैं रंग दिखाने तक
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मुझको इक जिद थी बस जीते ही जाने की
जिंदगी को भी जिद थी, बस मुझे हराने की
"जिंदगी", जीते जाने की जिद से हार गयी !
ज़ोया****
6 टिप्पणियां:
बहुत खूबसूरत
Jitendra ji
bahut bahut dhanywaad...
हम कई दफ़ा हार कर जीत जाते हैं और ....... कई दफ़ा जीत कर भी हार जाते हैं । ज़िंदगी का यह फलसफ़ा बड़ा अज़ीब है न !
एक अलग अंदाज!! बहुत खूब!
ji baba....zindgi yahi to he...kuch na kuch sikhte rho....:)
संजय ji..hmesha housnlaa afzaayi k liye shukriya
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