सोमवार, जून 29, 2015

जिंदगी




जिंदगी और मेहँदी , दोनों एक सा असर रखती हैं 

पहले पिसती हैं फिर देर बाद असल रंग दिखाती हैं 


बस दोनों ही दोनों सब्र तलब हैं रंग दिखाने तक



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  मुझको इक जिद थी बस जीते ही जाने की

जिंदगी को भी जिद थी, बस मुझे  हराने की



"जिंदगी", जीते जाने की जिद से हार गयी !



ज़ोया**** 

6 टिप्‍पणियां:

Tayal meet Kavita sansar ने कहा…

बहुत खूबसूरत

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Jitendra ji

bahut bahut dhanywaad...

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

हम कई दफ़ा हार कर जीत जाते हैं और ....... कई दफ़ा जीत कर भी हार जाते हैं । ज़िंदगी का यह फलसफ़ा बड़ा अज़ीब है न !

संजय भास्‍कर ने कहा…

एक अलग अंदाज!! बहुत खूब!

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

ji baba....zindgi yahi to he...kuch na kuch sikhte rho....:)

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

संजय ji..hmesha housnlaa afzaayi k liye shukriya