सोमवार, फ़रवरी 22, 2016

ऐसा तो मैं होने न दूंगी !



मैंने अक्सर चाहा....
पांवों में पहन छनकती झांझर 
सुर्ख गुलाब पंखुडियों पे चलूँ मैं 
मखमल की चादरों पे चल के 
मंजिलों को गले लगाऊं मैं 
पर ये तुमने होने न दिया !

मैंने अक्सर चाहा....
धुप की सुनहेरी धूल छान के
समेट लूँ अपने दामन में
गूंध के उसे सोने के पानी से 
माथे का टिका बना लूँ मैं 
पर ये तुमने होने न दिया !

मैंने अक्सर चाहा....
थाम के हाथ हमराज़ का
उड़ जाऊं नील गगन में 
बिता के आज संग उसके  
आने वाला कल सजाऊं मैं 
पर ये तुमने होने न दिया !

अक्सर यही किया तुमने
हरदम तपती सड़क पे तुमने 
कंकर तीखे बिछा दिए मुझको
बीच मझदार में थामे हाथों को 
पत्तों सा अलग किया तुमने
हाँ, अक्सर यही किया तुमने !

मैं फिर भी उम्मीदें सजाती रही
गीली थीं आँखें, सपने जलाती रही 
कंकर चुभे थे नर्म पाँव में मेरे 
 नई मंजिलों पे कदम बढाती रही 
गिरती रही, खुद को उठाती रही
ज़ख्मों पे मरहम लगाती रही !

तुम फिर भी शायद ये होने ना दो 
तुम मुझे शायद युहीं आज़माती रहो 
पर सुनो, अभी हार नहीं मानी हैं मैंने 
और 'मेरी हिम्मत' को 'ऐ मेरी किस्मत' 
तुम कभी हरा पाओ 
ऐसा तो मैं होने न दूंगी !

:-ज़ोया ****
penned on :-sept 29,2009
Pic from google

10 टिप्‍पणियां:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-02-2016 को चर्चा मंच पर विचार करना ही होगा { चर्चा - 2263 } में दिया जाएगा
धन्यवाद

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Dilbag Virk ji...bahut bahut dhanywaad aapka..yahaan tak aane..rchnaa pr dhyaan dene aur...chrchaa me shaamil krne ke liye...
bahut aabhaar

Rohit Singh ने कहा…

इस कविता में करती रही, को करता रहा में बदल कर पड़ता रहा.....फिर कुछ और कहने की जरूरत ही न रही...ये कविता मेरी हो गई..

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

rohitash kumar ji...thanx for saying that
this is one of the best comment ever :)

shukriya

Sneha ने कहा…

आह जोया जी, लगा कि जैसे मन में बसी किसी भूली बिसरी धुल धूसरित सी चाहत को आपने उकेर दिया...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

लाजवाब जोया जी
वाह वाह वाह !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

लाजवाब जोया जी
वाह वाह वाsss ह !

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

rajendra ji..bhut bahut dhanywaad...apka

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

sweetu ji..yahaan tak aane aur pdhne k eliye dheron dhnaywaad

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्‍दर भावों को शब्‍दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्‍तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा,