१
बादामी चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ ,
चलो. कुछ सुस्त पलों से रूह सहलाएं !
२
ज़िंदगी कुछ कुछ चाय सी भी होती है
ठंडी पड़ जाए तो वो स्वाद नहीं आता
तो क्या हुआ साहब, दुबारा बना लीजिये !
३
मुझे तो पहले ही अंदेशा था ,
मेरी उसकी निभेगी ही नहीं l
उसे चाय कड़वी लगती थी l
४
ये आदत - वादत मन की मनमर्ज़ियाँ हैं
किसी की कोई आदत वादात नहीं पड़ती
अब इंसान, इंसान होते हैं, कोई चाय नहीं l
किसी की कोई आदत वादात नहीं पड़ती
अब इंसान, इंसान होते हैं, कोई चाय नहीं l
:-ज़ोया
8 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 अगस्त 2019 को साझा की गई है........."सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद
बादामी चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ वाह....बहुत खूब कहा है आपने ज़ोया जी...मीठी मीठी चुस्कियाँ पसंद आई
वाह उम्दा/बेहतरीन।
@Digvijay Agrawal ji
bahut bahut dhanywaad aapkaa..mere likhe ko is kaabil smjhne ke liye :)
@संजय भास्कर ji
:)
aapko dekh kr achaa lgtaa he....jyun apne puraane muhalle me apne puraane doston se milnaa ho
dhanywaad hmeshaa utsaah bdhaane ke liye
@मन की वीणा
aapkaa bahut bahut dhanywaad
वाह चाय तो हमारी भी पसंदीदा रही है
@ अजय कुमार झा ji
:) :)
chay pasand krne ke liye hi bani he....haan ye mera nazariyaa he :)
blog tak aane aur chay ki sraahnaa ke liye :D aabhar aapkaa
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