गुरुवार, अगस्त 29, 2019

पिछले साल का कलैंडर


वो 
दिन प्रतिदिन 

मुझसे   
यूँ दूर जाता जा रहा है
जैसे 
साल का पहला दिन  
हर आते नए दिन के साथ 
दूर होता जाता है  

और ,
यूँ दूर होते -होते  
साल के आखिरी दिन 
वो मुझसे  
साल-भर दूर हो जायेगा 

और ,
फिर यूँ होगा, कि  
वो मुझे शायद  
पिछले गए 
साल के कलैंडर की तरह 
भूल जायेगा  !

ज़ोया***


21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 30 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. yashoda Agrawal ji

    बहुत बहुत आभार आपका। ....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए। .युहीं उत्साह बढ़ाते रहें..

    धन्यवाद

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  3. Wah... Ek aur behatreen alfazon me piroyi
    Khubsurat rachna . Atyant Sundar ...,

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  4. वाह यथार्थ के पास का सृजन।
    बहुत सुंदर है ज़ोया जी ।

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  5. Anita saini ji

    उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद आपका.... रचना को स्थान के लिए बहुत बहुत आभार
    युहीं साथ बनाएं रखें

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  6. Meena Bhardwaj ji


    :)...

    aapke utsaahvardhak shabd sun ke bahut prsnnta milti...

    aabhaar
    yuhin sath bnaayen rkhen

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  7. मन की वीणा ji

    btah e dil se shukriyaa

    blo tak aane aur rchna ko srhaane ke liye aabhaar

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  8. Sudha Singh~ ji

    bloh tak aan..rchna ko pdhne aur sraahne ke liye tah e dil se shukriya


    saadar aabhar

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  9. गगन शर्मा, कुछ अलग सा

    rchna ko pdhne aur sraahne ke liye bahut bahut dhanywaad


    saadar aabhar

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  10. अलविदा ए दोस्त जाने फिर कहाँ हो
    जा रहे हो तुम न जाने कौन बस्ती किस शहर
    चन्द डिब्बे और पटरियां है तो क्या
    दूरियां इनमे हज़ारों मील की आई उभर
    पोंछ डालो आंख के आंसू न देखो मुड़कर
    याद की खामोशियाँ होंगी हमारी हमसफर ।
    मेरे कुछ पंक्तियाँ आपकी सुंदर रचना के लिए ,बधाई हो

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  11. समय कहाँ ठहरता है किसी के लिए, निशान छोड़ता है वह तो
    बहुत अच्छी रचना

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  12. kavita ji


    hmmm....mujhe to ye lgtaa he.smay thehraa bhi nhi chaiye...kbhi kbhi bura smay bhi to aata he..agar wo theha gya o..ufff

    blog tak aane..rchna ko sraahne ke liye aabhaar

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  13. Jyoti Singh ji

    wow...rchnaaa ki sarthktaa hui...ik aur rchna utpnn hui


    bahut bahut abhar

    yuhin utsaah bdhaate rhe

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  14. दिल को छूते शब्‍दों के साथ ..बेहतरीन शब्‍द रचना ।

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  15. संजय भास्‍कर ji

    aapko rchnaa psnd aayi tah e dil se shurkiya aapka

    aapne hmeshaa utsaah bdhaya he meri rchnaao ko....bahut bahut aabhaar

    yuhin sath bnaaye rkhen

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  16. बहुत खूब ...
    सच है अक्सर कई दिन भूल जाते हैं पीछे जो रह जाते हैं ... पर जब लौट के आते हैं तो यादें ताज़ा कर जाते हैं ...
    ज़िन्दगी शायद लौटाती है ... यादों को भी ...

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  17. दिगंबर नासवा ji

    hmmmm....

    kbhi kbhi to sochti hun..aag bdhne ki kitnii kimat chukaate hain ha roz

    blog tak ane aur rchna ko srhaane ke liye bahut bahut aabhaar aapkaa

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  18. Bhari rehti hai andar se, kalam munh band rakhti hai... Magar sab bol deti hai wo, jab kagaz ko chakti hai...

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  19. hmmmmm

    :)
    हमेशा खुश रहो फूलो फलो  :) 

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