मंगलवार, सितंबर 24, 2019

तुम्हारे काँधे की तितली !


 

 गहरा सा जो वास्ता था कोई
सच था , या वो धोखा था कोई 
गहरी सी जिसकी गिरहैं हैं सारी
मीठी सी मिसरी हैं यादें सारी
खुद में समेट लिया है मैंने उनको 
कोकून सा बांध लिया है खुदको 
पकेगा इक दिन समय भी मेरा
बदल जाएगा ये रूप मेरा    
सतरंगी परों से मैं सज उठूँगी 
हर धागा काट मैं उड़ पड़ूँगी 
हर इक बंधन फिर खुल उठेगा  
गिरहों से छूट ये मन उड़ेगा 
और फिर यूँ जाये शायद 
आ बैठूं पहने रंग और महक मैं
बन के तुम्हारे काँधे की तितली 
उठा के हाथों में तुम फिर मुझिको 
दुआ में कुछ उस ''रब'' से  मांगो   
जलूं मैं फिर उस दुआ के नूर से यूँ 
की मिल जाए तुमको तुम्हारी मनचाही नेमत
पर मिले वो तुमको ... मेरी राख से ही !

:-ज़ोया



PC@ google 

16 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

वाह !बेहतरीन सृजन 👌
कोकून सा बांध लिया है खुदको
पकेगा इक दिन समय भी मेरा..लाज़बाब

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

anita ji

utsaahvardhak shabdon ke liye bahut bahut dhanywaad


aabhar

Meena Bhardwaj ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " गुरुवार 26 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सदा ने कहा…

मीठी सी मिसरी हैं यादें सारी ... सुंदर शब्द और भाव लिए प्यारी सी रचना के लिए बधाई

मन की वीणा ने कहा…

जबरदस्त बिंब लिए हैं ज़ोया जी, कोमल भावों को मुखरित करते गहरे एहसास।
अप्रतिम।

Sweta sinha ने कहा…


जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

सदा ने कहा…

वाह बहुत ही बेहतरीन ....

Manju Mishra ने कहा…

पकेगा इक दिन समय भी मेरा .... वाह ! बहुत ही सुंदर

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

मीना जी  बहुत बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए और हमेशा की तरह उत्साह बढ़ाने के लिए सच। ...बहुत हौंसला मिलता है आपके शब्दों से धन्यवाद 

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

सदा ji

ब्लॉग तक आने के लिए और रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार धन्यवाद 

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Kusum ji


utsaah bdhaane ke liye bahut bahut aabhaar aapkaa

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Manju Mishra ji

blog tak aane aur rchnaa ko psnd krne ke liye tah e dil se shukriya

yuhin sath bnaaye rkhen

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

shaweta ji


meri rchnaa ko chunnane ke liye bahut abhar

utsaah bdhane ke liye dhanywaad

Rohitas Ghorela ने कहा…

पास पड़े सोने की कद्र नहीं उसको मगर नेमत उसकी जंग लगी कील की है। इश्क में ऐसे होने पर मलाल ही मिलता है
ये बात वो अब नहीं जानता।
शानदार अभिव्यक्ति।
पधारें - शून्य पार 

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

Rohitas ji


ik smay ke baad kadr yaa bekdari ke maayne khtam ho jaate hain...:)

blog tak aane..rchnaa ko pdhne aur sraahne ke liye tah e dil se shurkiya

संजय भास्‍कर ने कहा…

मन के कोमल भाव कविता बनकर मुखरित हुए हैं !
देर से पहुंचा
लेकिन बहुत ही बढ़िया रचना मिली !!