रात ना कटे तो तुम ऐसा करना ..
काली लम्बी इस रात के 3 टुकड़े करना
इक टुकडा काट के आसमान को दे देना
फिर दूसरा टुकडा दे देना तुम चाँद को
बचा हुया वो एक आखिरी टुकडा
तुम अपने पास अपने सरहाने रख लेना,
लेटे लेटे उसमे देखना बीता वक़्त हमारा
वो मिलना ,वो जीना,वो बिछड़ना हमारा
इस लम्बे से सफ़र में वो छोटा सा टुकडा
देखना यूहीं पिघल के खुआब हो जायेगा
अभी बिछड़एंगे की सूरज उग आयेगा
मिलते बिछड़ते खुआब बनाते बनाते
रात का लम्बा सा सफ़र कट जायेगा
ऐसा ही करना जो नींद न आये
लम्बी सी रात के कर टुकड़े -टुकड़े
टुकडों में मुझसे मिल के रात काट लेना
और टुकड़ा टुकड़ा मुझसे मिल लेना ........!
5 टिप्पणियां:
टुकडों में मुझसे मिल के रात काट लेना
और टुकड़ा टुकड़ा मुझसे मिल लेना ........!
Beautiful. Another Gulzar in the process......
Bahot he khubsurat kavita .....hmmm
n very interesting kavita pic ...
Dohray chand ki dohree.....
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लेटे लेटे उसमे देखना बीता वक़्त हमारा
वो मिलना ,वो जीना,वो बिछड़ना हमारा
इस लम्बे से सफ़र में वो छोटा सा टुकडा
देखना यूहीं पिघल के खुआब हो जायेगा
अभी बिछड़एंगे की सूरज उग आयेगा
मिलते बिछड़ते खुआब बनाते बनाते……………..
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Aapke bhav aur abhivyakti ka madhyam dono hin bahut khoobsurat hain..
Sidhe dil tak pahunche..
Kabh waqt mile to mere blog pe swagat hai..
http://tajinindia.blogspot.com/
Shayad achha lage..
May god bless u ..
bye
आपकी पुरानी नयी यादें यहाँ भी हैं .......ज़रा गौर फरमाइए
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
bhut bhut sunder rachna...
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