बुधवार, अप्रैल 06, 2011

तुम तो बेपरवाह वक़्त हो गये हो




कभी यूँ ही आके पल में गुजर जाते हो
कभी पहरों बीत जाने पर भी नहीं जाते

गोया तुम तो बेपरवाह वक़्त हो गये हो
*

  दिन चढ़ते ही हो जाते हो आँख से ओझल  
दिन ढलते ही मेरी आँखों में उतर आते हो

गोया तुम तो छुए-मुए चाँद से हो गये हो
*

कभी इकसार  मेरे  साथ - २ चले चलते हो
कभी बिछड़ जाते हो अंजाने मौड़ की तरह

गोया तुम तो अजनबी रास्तों से हो गये हो

*

 कभी सहला जाते हो मेरी ज़ुल्फ़ में उलझ के 
कभी कटीले  झोंके सा ज़ेहन झंझोर जाते हो

गोया  तुम तो बे-नियाज़ी हवा से हो गये हो 


.
  जोया**** 

7 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया.

सादर

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत भावमयी अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

quite impressive....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:):) बहुत खूबसूरत

गोया तुम तो बेपरवाह वक़्त हो गये हो *...ऐसी सारी पंक्तियाँ पढने में रंग परेशान कर रहा है ..

बेनामी ने कहा…

इतनी खूबसूरती से खेलते हो लफ़्ज़ों से,

गोया तुम तो दीवाने शायर हो गए हो :-)

वाणी गीत ने कहा…

गोया तुम क्या क्या नहीं हो गए हो ...
सुन्दर !

संजय भास्‍कर ने कहा…

>>>>>बहुत खूबसूरत<<<<<<