कभी पहरों बीत जाने पर भी नहीं जाते
गोया तुम तो बेपरवाह वक़्त हो गये हो
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दिन चढ़ते ही हो जाते हो आँख से ओझल
दिन चढ़ते ही हो जाते हो आँख से ओझल
दिन ढलते ही मेरी आँखों में उतर आते हो
गोया तुम तो छुए-मुए चाँद से हो गये हो
*
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कभी इकसार मेरे साथ - २ चले चलते हो
कभी बिछड़ जाते हो अंजाने मौड़ की तरह
गोया तुम तो अजनबी रास्तों से हो गये हो
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कभी सहला जाते हो मेरी ज़ुल्फ़ में उलझ के
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कभी सहला जाते हो मेरी ज़ुल्फ़ में उलझ के
कभी कटीले झोंके सा ज़ेहन झंझोर जाते हो
गोया तुम तो बे-नियाज़ी हवा से हो गये हो
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जोया****
7 टिप्पणियां:
बहुत ही बढ़िया.
सादर
बहुत भावमयी अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर
quite impressive....
:):) बहुत खूबसूरत
गोया तुम तो बेपरवाह वक़्त हो गये हो *...ऐसी सारी पंक्तियाँ पढने में रंग परेशान कर रहा है ..
इतनी खूबसूरती से खेलते हो लफ़्ज़ों से,
गोया तुम तो दीवाने शायर हो गए हो :-)
गोया तुम क्या क्या नहीं हो गए हो ...
सुन्दर !
>>>>>बहुत खूबसूरत<<<<<<
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