दिल का चूल्हा ईंधन बिना बुझा बुझा सा है
सीली सी राख अन्दर ही अन्दर सुलग रही है
महीनों हुए उनका कोई ख़त नही आया !
सीली सी राख अन्दर ही अन्दर सुलग रही है
महीनों हुए उनका कोई ख़त नही आया !
आज फिर ऊमस से सना गुलाबी सा इक ख़त देहलीज़ पर पड़ा मिला
समेटे फिर वही पुरानी बातों में भिगोये हुए नये सूखे खुश्क से शब्द
सौदा शायद मुनाफे का ही था , अभी तक किश्तें चली आ रहीं हैं !
समेटे फिर वही पुरानी बातों में भिगोये हुए नये सूखे खुश्क से शब्द
सौदा शायद मुनाफे का ही था , अभी तक किश्तें चली आ रहीं हैं !
जोया****
14 टिप्पणियां:
बहुत खूब -
आपकी दिल को छूती रचना पर --
सौदागर भेजा करे, नियमित लम्बी किश्त ।
कश्ती जीवन की चले, चले जीविका वृत्त ।
चले जीविका वृत्त, वाह जोया सन्जोया ।
सुलगे सीली राख, अश्रु ने इन्हें भिगोया ।
उलाहना अंदाज, आपका है आकर्षक ।
देने पूर्ण हिसाब, वह पहुंचेगा भरसक ।।
गज़ब की अभिव्यक्ति
अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
गहन भाव अभिव्यक्ति ....
यह उत्कृष्ट प्रस्तुति
चर्चा-मंच भी है |
आइये कुछ अन्य लिंकों पर भी नजर डालिए |
अग्रिम आभार |
charchamanch.blogspot.com
बहतु खूब
सौदा तो मुनाफे का ही है
बहुत खूब...
waah .. umda triveniyaan ...
aap sab ka tah e dil se shukriyaaaaaaaaaaaa
yahaan tak aane...rchnaa tak pahunchne aur sraahne ke liye
tak care
क्षितिजा .,.....bahut bahut dhanywaad dear
सौदा मुनाफे का है बस यही तसल्ली रखें ... खूबसूरत एहसास
उम्दा !!
bahut sundar abhivyakti
खतों की त्रिवेणी इधर भी बह रही है...
बेहद खूबसूरत!!! :)
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