शुक्रवार, जुलाई 26, 2013

आजकल बहुत डरने लगी हूँ !



 आजकल बहुत डरने लगी हूँ ! आज के भारत की तस्वीर देख के  परेशान भी हूँ …दुखी भी …और  भयभीत  भी ……हवा में धीरे धीरे जहर घोला जा रहा …और हम हर आती सांस के साथ कुछ ज़हर निगले जा रहे हैं … ज़मीन पे जगह जगह विस्फोटक प्रदार्थ बिछा दिए गये हैं …. जाने कोन से कदम पे विस्फोट हो जाए……और हम हैं के बस चली जा रहे है …जिये जा रहे हैं  !  

टी वी  ओन  करे तो लगता है कहीं कुछ अच्छा हो भी रहा है के नहीं …. और सिर्फ राजनीति ही राजनीति …कोई मरता है …कोइ जन्म लेता है …किसी लड़की के साथ अन्याय  होता है …कहीं बाढ़ आती है …. कितनी मदद राशि …कोइ भी विषय हो …सिर्फ़ राजनीति होती है उसपे और होता कुछ नही …जितना हो सकता है … जितना करने की हम क्षमता रखते कम से कम उतना तो नही !


सिर्फ राजनीति के लिए तरह तरह के बम बना के रख दिए गये हैं और उन्हें सही वक़्त आने पर इस्तेमाल कर लिया जाता है ………….  और इनमे सबसे खतरनाक है "धर्म बम "…… हिन्दू-मुस्लिम बम उसकी सबसे भयानक किस्म है ……. सोशल साइट्स  में क्या कुछ लिखा जा रहा है……. लेख …लेख की भाषा …. लेख के शब्द …. तस्वीरें …….  ऐसा कुछ लिखा जाता है की पढ़े  लिखे और बड़ी उम्र के लोगों की सोच ही प्रभावित हो जाती है तो अबोध और जवान लड़के लड़कियों और बच्चों के  दिमागों पर क्या असर होता होगा …. 


सरकार की बात छोड़ो … भारतवासी होने का फ़र्ज़ हम कितना निभा रहे हैं … आयेदिन … हर पल …बस सरकार को कोसते रहना … हमारे इंडिया का कुछ नही हो सकता … अरे पहले …इंडिया से निकल कर  भारत में तो आओ …. अपने फैंके चिप्स के खाली पैकेट तो उठाओ …. दीवारों पे पान के  छिटों की पुताई तो हटाओ …. साथ में खड़ी लड़की के शरीर पर से नजर हटाओ … अपनी बीवी के घर पे होने के बावजूद दूसरी औरतों के तन मापती नजरों को तो रुकवाओ …हर बड़ी से बड़ी बड़ी और हर छोटी से छोटी … डयूटी  तो निभाओ … सरकार को भी जगा लेना …पहले अपने आप को तो जगाओ …।!


 बहुत डर लगने लगा है मुझे आजकल … मेरा इतना कोमल, नाज़ुक और ओस सा मासूम बेटा  जो अभी 18 महीने का वो यहीं पले बढ़ेगा। ऐसे समाज में रहेगा …मै कैसे बचा पाउंगी उसे इस ज़हरीली हवा से …मै कहाँ कहाँ उसे रोक पाउंगी …. बचा पाउंगी ..... पहले डर नही लगता था जब से बच्चे में जान आ बसी है …. डरने लगी हूँ ! आजकल बहुत डरने लगी हूँ !

12 टिप्‍पणियां:

  1. अपने बच्चे कि परवरिश करती हर माँ ऐसे वातावरण को देख डरती है .... पर इसी का तो अभ्यस्त बनाना है .... बच्चे को सही गलत का फैसला करना सिखाना है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा आपने ये हवा बहुत ज़हरीली है.....लोग ये नहीं समझ पाते कि रास्ते भले अलग अलग हों पर मंजिल तो एक ही है......पर अब काफी कुछ बदल रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. हर माँ को डर सताता है आज कल ... समस्या का कोई हल नज़र नहीं आता ... शायद अंधेरे के बाहर रौशनी की किरण कहीं तो होगी ही ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बच्चों की परवरिश में मां को योगदान सबसे ज्यादा है...

    जवाब देंहटाएं
  5. मरी टिप्पणी शायद स्पैम में जा रही है ...

    जवाब देंहटाएं
  6. Sangeeta di and Veena Ji.......aap kaa bahut bahut aabhaar.............ji sach me...bachchon ki parvrrish me maa ka bdaa yogdaan he

    जवाब देंहटाएं
  7. दिगम्बर नासवा ji.....sach khaa..aapne..spam me hi jaa rhi thi.......achchaa huya aapne btayaa........kam se kam 15 commemnts the jo spam me chale gye the...aur main unhe dekh nhi paayi

    aapkaa to dohraa dhanywaad bntaa he

    bahut bahut shurkiya

    जवाब देंहटाएं
  8. Sushma ji ..and Khushwant ji
    aap yhaan tak aaye....rchnaa ko sraha...tah e dil se dhanywaad

    जवाब देंहटाएं