शुक्रवार, जून 26, 2015

कल रात बहुत ही तन्हा थी




कल रात बहुत ही तन्हा थी
कल रात बड़ी नाचारी थी 

कुछ कहना था उसको शायद 
या कुछ वो सुनना चाहे थी 
चाहती थी रोना जी भर के 
कल रात बड़ी ही भारी थी !

न खिड़की थी उस घर में 
ना बाहर कोई गलियारी थी 
अंदर डसती थी तन्हाई लेकिन 
बाहर हर आँख शिकारी वाली थी 

जागती नींद  में सोयी थी वो 
वो सोये- सोये भी जागी थी 
सज़ा  जगरतों की क्यों मुझको 
वो खुद ही खुद से सवाली थी 

ना चाँद सजा था थाली में 
ना तारे पके थे सालन में 
आँख तक वो भर ना सकी 
कल रात बहुत ही खाली थी 

कल रात बहुत ही तन्हा थी
कल रात बड़ी नाचारी थी 

                                                                                                                        :- ज़ोया****

10 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, काम वाला फ़ोन - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-06-2015) को "यूं ही चलती रहे कहानी..." (चर्चा अंक-2020) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. ब्लॉग बुलेटिन

    आपका बहुत बहुत धन्यवाद

    पोस्ट को भी शामिल बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. शास्त्री जी
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद

    पोस्ट को भी शामिल बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सृजन
    साथ ही साथ सुन्दर ब्लाग संरचना के लिये बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रेम और तन्हाई के गहरे एहसासों में जन्मी और पली रचना ... गहरे असर करती ...

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  7. Jitendra tayal ji

    bahut bahut dhanywaad aapka..
    aap yahaan tak..rchnaa ko srahaa..
    aapkaa bahut bahut aabhaar

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  8. Digamber Naswa
    प्रेम और तन्हाई के गहरे एहसासों में जन्मी और पली रचना ... गहरे असर करती ...

    ..hmmmm...likhnaaa saarthak huya....:)

    aaabhaar

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  9. दिल से निकले गहरे जज्बातों से रची बसी प्रस्तुती

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