सोमवार, जून 29, 2015

जिंदगी




जिंदगी और मेहँदी , दोनों एक सा असर रखती हैं 

पहले पिसती हैं फिर देर बाद असल रंग दिखाती हैं 


बस दोनों ही दोनों सब्र तलब हैं रंग दिखाने तक



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  मुझको इक जिद थी बस जीते ही जाने की

जिंदगी को भी जिद थी, बस मुझे  हराने की



"जिंदगी", जीते जाने की जिद से हार गयी !



ज़ोया**** 

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