गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

सैर फ़रवरी की धूप में





फरवरी की धूप में
बिखरे -२ से रूप में
चल रही थी मौज में
मीठी मीठी सी धूप में
ख्याल कई थे सोच में
कल से आते आज में
चाप सी पड़ती कान में
पायल पहनी थी पाँव में
भीगती सुनहरी धूप में  
उजली उजले से रूप में
ध्यान लौटा वर्तमान में
पतंगे झूलती आसमान में
बच्चे चेह्कते बागान में
मांझा कसे वो हाथ में 
बसंत था पूरी शान में
यौवन भी था गुमान में
गुल मिलते  गुलिस्तान में
कुछ आँखें  थी सुराग़ में 
बातें थी घूमती  ज़ुबान में
बात दबाई मैंने इक मुस्कान में
 ध्यान गया  अल्हान में
बांसुरी बेचता सस्ते दाम में 
चहल पहल थी आम में
बसंत पंचमी की शान में
देखती मैं सब आराम में  
पहुंची घर इसी दौरान में
फरवरी की धूप में
बिखरे -२ से  रूप में
चल रही थी मौज में
मीठी मीठी सी धूप में

14 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

जोया जी,

वाह......अलग अंदाज़.......गुलाबी मौसम का इतना का इतनी खूबसूरती से बयान कर दिया|

vandana gupta ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत भावाव्यक्ति।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

इस माहौल में सैर का अलग ही आनंद है।

और इसी सैर की तरह सुंदर है आपकी कविता।
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ब्‍लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

अच्‍छी है, कुछ हटकर है।

विशाल ने कहा…

सुन्दर सरल वर्णन.नया प्रयोग
सलाम

बेनामी ने कहा…

cute....!!!

its kinda sweet....lovely :)

Dr Varsha Singh ने कहा…

सुन्दर और भावपूर्ण कविता । बधाई।

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बहुत प्यारी रचना है.

खूबसूरत भावाव्यक्ति.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर रचना .बधाई

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बेहद खूबसूरत एहसासों को शब्दों में पिरोया है.

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संजय भास्‍कर ने कहा…

शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत रूपहली सी धूप ...